Book Title: Jeevandhar Swami
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ जैन चित्र कथा तब सेठ गन्धोत्कट और सुनंदा माता विजयाके पास | आपके इस निर्णयका आए। अनुकरण हमदोनों भी करेगें-क्योंकि हमें भी अब इस संसार के प्रति कोई रूचि नहीं है। DOI महारानी। आपने शुभाशुभ कर्मफल से मुक्तहोने का जो निर्णय लिया है। वह अत्यंत वंदनीय ത്രത CSCCS OCOCCOCC है । SHTE इस प्रकार विजया,सुनंदा और सेठ गंधोत्कट-तीनों नेदीक्षालेली। TER ROIGT SP जीवधर कुमार का मन इस निर्णय से दरखी था-क्योकि उनके तीनो प्रियजन उनसे अलग हो रहे थे। तब पद्मा नामक आर्यिका ने उन्हें समझाया। हे राजन्, जिस प्रकार अपने आप आकाश से हो रहीरत्नवर्षाको कोई नहीं रोकता,उसी प्रकार जिन दीक्षा ग्रहण करने में कोई विवेकी मनुष्य दुखी नहीं होता।

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40