Book Title: Jeevandhar Swami
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 26
________________ जैन चित्रकथा अपने शत्रु को अत्यंत शक्तिशाली मानकर राजा गोविन्दराज विशाल फिर दोनों ओर सेदूत भेजे गए जो मेंट आदि सेनालेकर चले और राजपुरी से बाहर एक उपवन में ठहर गए। लेकर गए और एक दूसरे के राजा के प्रति सम्मान प्रकट किया। महाराजकी जय हो!महाराज AAR काष्ठांगार ने आपकी सेवा में भेंट भेजी है। HTRA 06 3 Com हे महाराज हमारे महाराजा गोविन्दराजने आपके लिए भेट भेजी है-सो आप स्वीकार करें। SON M अनेक राजा आए,किंतु वह चंद्रक यंत्र न भेद सके। राजपुरी के निवासिया यों सुनों! महाराजा ( गोविन्दराज ने घोषणाकीहे< किजोव्यक्ति चंद्रक यंत्र का भेदन करेगा, उसे में अपनी कन्या ब्याह दूंगा। Dila - 24

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