Book Title: Jeevandhar Swami
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 8
________________ जैन चित्र कथा जीवंधर तरंत वन में गए और भीलों को परास्त करके गोधन छुड़ा लाए। जीवंधर कुमार की जय। लेकिन सेना उन भीलों को नहरा सकी और खाली हाथ लौट आयी। तब ग्वालों के प्रमुख नन्द गोप ने घोषणा की। जिसे जीवंधर ने भी सुना। जो व्यक्ति भीलों से हमारा गो- धन छडा लावेगा, उसे सुवर्ण की सात पुतलिया दहेज में देकर अपनी पुत्री गोविन्दा भी ब्याह दूंगा। / D Aala मुझे आपका पुरस्कार नही चाहिए। पुत्री गोविन्दा का ब्याह मेरे उत्तम मित्र पद्मास्य से कर दीजिए। हे भद्र पुरुष। आप मुझे इस पर्वत पर क्यों लाए राजपुरी का श्रीदत्त नामक व्यापारी धन कमाने विदेश गया था। लौटते समय उसकी नौका तूफान में फंसकर टूट गयी। श्रीदत्त एक लकड़ी के सहारे तैरकर किनारे लगा। हे श्रीदत्त तुम्हारी करूण कथा सुनकर मुझे भी दुख है। आओ मेरे साथ | सब ठीक हो जाएगा । हम, विजया पर्वत पर चले। wall COM मैं धर नामक विद्याधर हूं। आपके मित्र राजा गरूड़वेग मेरे स्वामी हैं। उन्हें अपनी कन्या के विवाह के मामले में आपकी जरूरत है। मैं आपको लेने आया हूं। आप चिंता न करें आपकी नौका,धन आदि सब सुरक्षित है ।वह घटना केवल एक मायाजाल थी। आइए चलें।

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