Book Title: Jeevandhar Swami Author(s): Dharmchand Shastri Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala View full book textPage 9
________________ राज के पास पंहुचने पर... I हे मित्र पंडितों ने कहा है मेरी पुत्री गंधर्वदत्ता का विवाह उसी से होगा जो इसे वीणावादन | में हराएगा। इसलिए आप इसका स्वयंवर रचाने के लिए इसे राजपुरी ले जाइए। तब जीवंधर कुमार अपनी घोषवती वीणा लेकर आए और उन्होंने अपने वीणावादन से गंधर्वदत्ता को पराजित किया। गंधर्वदत्ता ने वरमाला जीवंधर कुमार के गले में डाल दी । Purogalley Quugu Ed 252 श्री जीवंधर स्वामी 93 MARI राजपुरी आकर श्रीदत्त ने गंधर्वदत्ता के विवाह के लिए स्वयंवर रचा। अनेक वीणावादक आए और उन्हें गंधर्वदत्ता ने परास्त कर दिया। जीवंधर कुमार की विजय, स्वयंवर में बैठे राजागण सहन न कर सके। वहां उपस्थित काष्ठांगार ने उन्हें भड़का दिया और वे जीवंधर से युद्ध करने लगे । Mivale अंत में जीवंधर कुमार विजयी हुआ और गधर्वदत्ता से उसका विवाह हो गया। 7Page Navigation
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