Book Title: Jeevandhar Swami
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 10
________________ जैन चित्र कथा एक बार वसंत ऋतु आने पर जीवंधर जल-कीड़ा के लिए अपने मित्रों के साथ गए। वहां हवन सामग्री झूठी कर देने के कारण बाह्मणों ने एक कुत्ते को मार- मारकर घायल कर दिया था। कितने दुख की बात है। इस निरीह प्राणी को अब 1000 उपचार द्वारा बचाना भी संभव नहीं। अब इसे णमोकार मंत्र सुनाना चाहिए । 'झूठ मेरा चूर्ण अच्छा है। 23 | वहीं दो सहेलियां झगड़ रही थीं । सुरमंजरी स्नान ( का चूर्ण मेरा सबसे उत्तम है। SNZRU Hili PREETSFER MOT 10000020010 नहीं गुणमाला! मेरा चूर्ण बहुत अच्छा है। नहीं मेरा चूर्ण अच्छा है। Ge w हे स्वामी! कुत्ते के रूप में प्राण छोड़ने के बाद मंत्र के प्रभाव से मैं यक्षेन्द्र हुआ हूं। मैं आपका सेवक हूं। जब कोई विपत्ति आए मेरा स्मरण करना। मैं उसी समय आकर आपकी रक्षा करूंगा। अंत में वे दोनों निर्णय कराने के लिए जीवधर कुमार के पास पहुंची। गुणमाला का चूर्ण सबसे उत्तम है। 8 अन्य विद्वानों की तरह आप भी पक्षपात करके गुणमाला के चूर्ण को उत्तम कह रहे हैं। मैं प्रतिज्ञा करती हूं कि जीवंधर को छोड़कर किसी पुरुष को देखूंगी भी नहीं ।

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