Book Title: Jeevandhar Swami
Author(s): Dharmchand Shastri
Publisher: Acharya Dharmshrut Granthmala

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Page 11
________________ गुणमाला जबरी. रही थी कि काष्ठीगार | उधर आ गया। उसके परिजन उसे अकेला छोड़कर भाग गए। श्री जीवंधर स्वामी • अपने परिजनों के साथ घर की ओर लौट हाथी का पागल, **** गुणमाला और जीवंधर कुमार में. इस घटना के बाद प्रेम हो गया। डरने की कोई बात नहीं। चलिए आपको घर छोड़ आऊं । OLL AMAVAS आज आपने मेरी रक्षा की है। और जीवंधर तथा गुणमाला विवाह बंधन में बंध गए। जीवंधर द्वारा मार खाने के बाद उस हाथी ने खाना-पीना छोड़ दिया। यह बात काष्ठांगार तक पहुंची। 9 तभी जीवंधर कुमार ने आकर उस हाथी को मुष्टिका प्रहार से भगा दिया। 1000 3 इस दुष्ट जीवंधर से मुझे और भी हिसाब चुकाना है। उसे तुरंत पकड़ कर ले आओ। आवश्यक हो तो सेना ले जाओ।

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