Book Title: Jambudwip Part 02
Author(s): Vardhaman Jain Pedhi
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

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Page 140
________________ १९ इसके उपरांत तीन ( वान एवन बेल्ट ) किरणोत्सर्गी पट्टे पृथ्वी को अंगूठी के समान घेरे हुए है । (१) पहला पट्टा पृथ्वी की ५०० से ६०० किलोमीटर की ऊँचाई तक घेरे हुए है । किसी स्थान पर वह ३०० किलोमीटर जितना नीचा भी है । (२) दूसरा पट्टा पृथ्वी से ४० से ६० हजार किलोमीटर ऊँचा है । उसके इलेकट्रोन की शक्ति पहले पट्टे की अपेक्षा एक हजार गुना कम है । (३) तीसरा पट्टा पृथ्वी से लगभग १ लाख किलोमीटर ऊँचा है ।" ये तीनों पट्टे मुख्यतः सूर्य में से निकलते हुए कॉस्मिक किरणों के पृथ्वी के वातावरण में प्रविष्ट होती हुई प्रक्रिया द्वारा होने वाले रुपान्तर से बने हुए होते है । पहले की अपेक्षा दूसरे पट्टे की इलेक्ट्रोन शक्ति हजारवें भाग जितनी है । जिससे वह पहले पट्टे से अधिक दूर स्थित है । तीसरा पट्टा दूसरे पट्टे की अपेक्षा बहुत दूरी पर स्थित है, जिससे उसकी शक्ति दूसरे पट्टे की अपेक्षा से भी बहुत कम होनी चाहिये । इस प्रकार सूर्य में से आते हुए कॉस्मिक किरणों को पृथ्वी अपने चुम्बकीय बल द्वारा भी किरणों की शक्ति की असमानता से न्यूनाधिक रुपमें अपनी ओर आकृष्ट कर सकती है । परन्तु न्यूनाधिक - शक्तिवाली सभी किरणों को एक समानान्तर तक आकृष्ट नहीं कर Jain Education International सकती । परन्तु किरणों की शक्ति के अनुपात में ही न्यूनाधिक - अनुपात से आकर्षित कर सकती है । इस प्रकार पृथ्वी का तथाकथित गुरुत्वाकर्षण बल अथवा चुम्बकीय शक्ति किसी भी पदार्थ पर पदार्थगत घनत्व के अनुपात में (कॉस्मिक किरणों को उसकी शक्ति की समता में) न्यूनाधिक प्रमाण में ही आकर्षण कर सकती है। पदार्थ के घनत्व की समता में न्यूनाधिक आकर्षण कर सकनेवाली पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी जब सूर्य के आसपास प्रदक्षिणा करती हुई दौडती रहती है, तो न्यूनाधिक घनत्ववाले पदार्थों को एक समान शक्ति से अपनी दौड़ के साथ-साथ दौड़ा नहीं सकती और इसी से अधिक घनत्ववाले पदार्थों की अपेक्षा कम घनत्ववाले पदार्थ पीछे रह जाते है । इसी प्रकार किरणोत्सर्गी पट्टे में रहने वाली कॉस्मिक किरणों को भी पृथ्वी अपनी वेगपूर्ण गति के साथ-साथ एक समान तेजी से खींचकर दौड़ाकर ) साथ नहीं ले जा सकती । और उपर्युक्त तीनों पट्टे एक एक की अपेक्षा अन्तर में भी बहुत दूर है । वैज्ञानिकों क अनुमान है कि.... पृथ्वी और पदार्थ में जितना अन्तर अधिक दूर होता है उतना ही गुरुत्वाकर्षण बल भी कम होता जाता है ।" ऐसा होने से पहले पट्टे की किरणों से कम शक्तिवाली और अधिक दूरी पर स्थित For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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