Book Title: Jambudwip Part 02
Author(s): Vardhaman Jain Pedhi
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

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Page 142
________________ "चन्द्रलोक” भारतीय-शास्त्रों की दृष्टिमें ले. विश्वनाथ मिश्रा (प्राचार्य, राजकीय संस्कृत कालेज,) बीकानेर् 53XXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX आजके वैज्ञानिक युग में वैज्ञानिकों की इसलिये चन्द्रयात्रियों को कुछ दिन पृथक अन्वेषणशक्ति का यह परिणाम हुआ कि २१ रखा गया । जब चन्द्रमाकी चट्टाने एवं उसकी जलाई १९६९ को दो अमेरिकी अन्तरिक्षयात्री धूल का खटमल पर किये गये प्रयोग का तथाकथित चांद (!) पर उतर कर कुछ दूर कोई असर पड़ा दिखाई नहीं दिया, तब यह भ्रमण कर वहां से १०० पौण्ड मिट्टी और निश्चय किया गया कि चन्द्रमा (!) में कोई कुछ पाषाणखण्ड अपने साथ लेकर पृथ्वी विषात्मक कीटाणु नहीं है। पर सकुशल वापस आ गये । २ चन्द्रमा (!) की चट्टान ४ अरब वर्ष - पुरानी चन्द्रयात्रियों द्वारा लाई गयी मिट्टी का - ___अमरिकी-ठौज्ञानिकों ने यह मत प्रकट परीक्षण करने के उपरान्त नैज्ञानिक जिस किया है कि अपोलो ११ के चन्द्रयात्री जो निष्कर्ष पर. आये हैं उसका सारांश निम्न चांद (!) की चट्टानों के नमूने लाये हैं। वे लिखित है - २ अरब से ४ अरब ५० करोड वर्ष १ चन्द्रमा (!) पर की मिट्टी पृथ्वी के जीवों पुरानी है। के लिये हानिकर नहीं है। पृथ्वी पर जो प्राचीनतम पत्थर है उनकी अधिकतम अनुमानित आयु ३ अरब चन्द्रयात्री जब पृथ्वी पर आये तो उनका ३० करोड वर्ष पुरानी है। स्वागत तो किया गया परन्तु किसीको उनसे इस प्रकार चाँद (2) की मिट्टी पृथ्वी से हाथ मिलानेका अवसर नहीं मिला । १ अरब वर्ष से भी ज्यादा पुरानी सिद्ध होती क्योंकि वैज्ञानिको को यह सन्देह था कि है। इस प्रकार चन्द्रमा (1) पृथ्वी का ही एक चन्द्रयात्रियों के साथ ऐसे जीवाणु तो नहीं टुकडा है । इस गलत-धारणा के सम्बन्ध आ गये है, जो पृथ्वी के जीवधारियों को में भ्रामक मोह सदा के लिये भंग होजाना क्षति पहुंचा सके । चाहिये। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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