Book Title: Jambudwip Part 02
Author(s): Vardhaman Jain Pedhi
Publisher: Vardhaman Jain Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 165
________________ ४४ उपर्युक्त दो धाराओं में किसे वास्तविक सत्यों का मार्मिक ज्ञाता बनने का दावा कहा जाय ? किसे धारणा रुप ? यह एक करता है। प्रश्न है। वर्तमान युग में विज्ञानवाद की चकाचौंध प्रत्यक्ष के किये प्रमाग की क्या आव- में समझदारी-विचारशीलता पर कुछ आवरण श्यकता है : सा आ जाने से मानव की धूमिल धारणाएं पनप कर मानव के प्राकृतिक-विकास को यहां भी लोग कह देते है कि 'जो अवरोध पहुंचा रही है। प्रत्यक्ष-प्रमाणित है, वही वास्तविक है, और जिसके लिए वैसा साध्य नहीं वह है धारणा अतः विज्ञान के अनेक क्षेत्रों में से भगोल रुप । किन्तु इसमें भी यह आपत्ति आ सकती के क्षेत्र पर कुछ मार्मिक-प्रकाश प्राप्त करनेका है और वह यह कि आप जिसे प्रत्यक्ष कहते प्रयास करना जरुरी है. है, वह भी अप्रत्यक्ष ही है, वहां भी धारणा ने अपना प्रभाव मस्तिष्क पर जमा रखा है, आशा है कि तटस्थ विद्वान, विचारक जिससे धारणा के अनुरुप संयोजना की जाती है। योग्य विचार करेंगे। .. ____ मानव-बुद्धि की सीमाएं काफी पर्याप्त खास बात :- "पुराणमित्येव न साधु होने पर भी भौतिकवाद के उन्माद में कभी सर्व” यह कालीदास की उक्ति को सामने कभी मानव अपने आपको प्रकृति के सनातन रख करके ही यह प्रयास करना जरुरी है। 9. CO Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190