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करते हुए दोनो मतों को ठीक माना है (१५) जाता है उधर तो प्रकोश रहता है परन्तु __ कविकुल गुरु महाकवि कालिदास पृथ्वी दूसरी और प्रकाश नहीं रहता तब उन्होंने यह को ४ समुद्रो से परिवेष्टित मानते है (१६) संकल्प लेकर कि 'मैं रात को भी दिन में
__भागवत के अनुसार स्वायंभव मन के पत्र बदल दूंग' सूर्य के पीछे ही एक ज्योतिर्मय प्रियव्रत गृहस्थाश्रम से विरक्त थे, तथापि पिता ।
रथ पर चढ़ कर द्वितीय सूर्य की भांति सूर्य की आज्ञा से उन्होंने राजतिलक कराया और
के पीछे पीछे पृथ्वी की सात परिक्रमाये कर राज्यशासन करने लगे ।
डाली । तब उस समय प्रियव्रत के रथ के ____ एक बार उन्होंने देखा कि सुमेरु की ।
पहियों से जो लीकें बनी वे ही सात समुद्र
___ बन गये और पृथ्वी में सात द्वीप हो गये (१७) परिक्रमा करते हुए सूर्य का रथ जिधर से
भूलोक
सप्तद्वीप व सशसागर पूर्व पूर्व की अपेक्षा उत्तरोतर दूमा विस्तार
जम्बूद्वीप
लाशोदा
ARMERBARE
शाकद्वीप
ए
वाया पुलाव माशाजन
जैनेन सिद्धान्त कोष से साभार
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