Book Title: Jaipur Khaniya Tattvacharcha Aur Uski Samksha Part 2
Author(s): Fulchandra Jain Shastri
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 5
________________ जयपुर (खानिया ) तत्वचर्चा द्वितीय दौर ५५१-५६५ तृतीय दौर ६३६-६५१ प्रतिशंका २ ५५१-५५६ प्रलिशंका ३ १. ज्ञान सफल कब होता है प्रतिशंका का समाधान ६४०-६५१ २. संवर और कर्मनिर्जरा किस तरह १. पर्याय दो ही प्रकार की होती है ६४१ ३. अनन्त बार मुनिव्रत धार ५१७ २. पर्यायोंको द्विविधताका विशेष खुलासा ४. विकारका कारण ३. उपाधिके सम्बन्धम.विशेष. खुलासा ६४७ प्रतिशंका २ का समाधान ५५६-५६५ ४. गाथाओं का अर्थपरिवर्तन तृतीय दौर ५६५-६०८ १२. शंका-समाधान ६५२ प्रतिशंका ३ ५६५-५७७ प्रथम दौर ६५२ प्रतिशंका ३ का समाधान ५७८-६०६ । शंका १२ और उसका समाधान ६५२ १. सपसंहार .५७८ २ प्रतिशंका ३ का समाधान ५७८ १३. शंका-समाधान ६५३-६९१ । ३. असद्भुतम्यवहारनय के विषय में स्पष्टीकरण ५८४ प्रथम दौर ६५३-६५४ ४. कर्मचन्धसे छूटनेका उपाय ५८६ | शंका १३ और उसका समाधान ६५३-६५४ ५. निश्चयसे जीव गादिसे बद्ध है इस द्वितीय दौर ६५४-६६१ तध्यका समर्थन ६. उपचार तथा आरोप पदकी सार्थकता ५९१ | प्रतिशंका २ १. निर्जराका कारण • ६५६ १०. शंका-समाधान ६०९-६३१ . २. उभयभ्रष्टता प्रथम दौर ६०९-६१० ३. निष्कर्ष शंका १० और उसका समाधान ६०६-६१० प्रतिशंका २ का समाधान ६६०-६६१ द्वितीय दौर ६१५-६१३ तृतीय दौर ६६२-६९१ प्रतिशंका ३ प्रतिशंका २ ६१०-६१२ ६६१-६७१ प्रतिशका ३ का समाधान ६७२-६६१ प्रतिशंका २ का समाधान तृतीय दौर ६१४-६३१ १. सारांश २. अतिशंका ३ के आधारसे विचार प्रसिशंका ३ . प्रतिशंका ३ का समाधान ३. अन्य कतिपय प्रश्नोंका समाधान ६२१-६३१ ६८६ ११. शंका-समाधान ६३२-६५१ १४. शंका-समाधान ६९२-६९८ प्रथम दौर ६३२ प्रथम दौर ६९२ शंका ११ और उसका समाधान | शंका १४ और उसका समाधान ६६२ द्वितीय दौर ६३३-६३६ द्वितीय दौर ६९३-६२४ प्रतिशंका २ ६३३-६३५ | पत्तिशंका २ प्रतिशंका २ का समाधान ६३५-६३६ | प्रतिशंका २ का समाधान ६५६ ६७२

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