Book Title: Jainagam Nyayasangraha Author(s): Atmaramji Maharaj Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दो शब्द जैन शास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान् पूज्य आचार्य श्री आत्मा राम जी महाराज वे विशेष सहबास से मुझे भी जैनागमों के देखने का सौभाग्य प्राप्त होता रहा है । पूज्य श्री जी की कर लेखनी से जैन जगत् तथा जैनेतर विद्वज्जन सुपरिचित ही है। मैंने आचार्य श्री जी द्वारा प्रकाशित अनेकों ग्रन्थ पढ़े, जो साधारण तथा असाधारण जनता के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं। मेरी आरम्भ से ही पूज्य श्री जो से सानुरोध प्रार्थना रही है कि जैनागमों में इतस्ततः बिखरे हुए न्याय - शास्त्र सम्बन्धित पाठों का एक पुस्तक के आकार में प्रकाशन होना अत्यावश्यक है । हर्ष का विषय है कि पूज्य श्री जी ने मेरी इस प्रार्थना को साकार रूप देकर मुझ पर ही नहीं किन्तु न्याय - शास्त्र के जिज्ञासुओं पर महान् उपकार किया है। प्रूफ आदि संशोधन कार्य ---भार अपने ऊपर लेकर इस पुस्तक के मूर्तरूप देने में जैन मुनि रत्नचन्द्र जी महाराज तथा प्रकाण्ड पण्डित शान्त मुद्रा पं० श्री हेमचन्द्र जी महाराज के सुशिष्य मुनि श्री स्वरूप - चन्द्र जी महाराज और कान्ति मुनि जी ने अपने कर्तव्य का पालन किया है । इसके लिए इन तोनों मुनिजनों का विशेष धन्यवाद । चैत्र शुक्ला प्रतिपदा सं० २००६ निवेदक: झण्डूलाल शास्त्री जैन उपाश्रय लधियाना For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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