Book Title: Jainagam Nyayasangraha
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalaya Ludhiyana

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir या कर चुके हैं उन को प्राचीन आगमों में वणन किए हुए प्रमाण और नय-वाद का ज्ञान प्राप्त होना आवश्यक है । एतदर्थ इस लघु पुस्तिका में अनुयोगद्वार सूत्र, नन्दीसूत्र, ठाणांग सूत्र,भगवतीसूत्र, प्रज्ञापन सूत्र, तथा उत्तराध्ययन सूत्र, आदि जैनागमों से प्रमाण और नय तथा आत्मवाद आदि विषय स्वाध्याय शील विद्वानों के अवलोकन के लिए संक्षिप्त रूप से संग्रह किए गए हैं। जिन को विशेषप्रमाण और नय-वाद आदि विषयों को देखने का अभिलाषा होवे जनागमां का सप्रेम स्वाध्याय कर और यथोचित लाभ उठाए। ___ इस पुस्तिका में प्राचीन टीकाओं के साथ साथ आगम पाठ का भी संग्रह किया गया है आशा है विद्वान् लोग इस पुस्तक को पढ़ कर मेरे परिश्रम को सफल करेंगे । अलविद्वत्सु । आचार्यआत्माराम चैत्र शुक्ला प्रतिपदा सं० २००६ जैन उपाश्रय लुधियाना For Private And Personal Use Only

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