Book Title: Jain Yug 1931
Author(s): Harilal N Mankad
Publisher: Jain Shwetambar Conference
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-मेन युग
१५-६-30
૧૪
मंन्यास दीक्षा प्रतिबंधक निबंध अंगे निमाएल पेटा समितिनो-रिपोर्ट अने कार्यवाही समितिए आपेली मंजूरी. श्री जैन श्वेतांबर कॉन्फरन्सनी कार्यवाही समितिनी थवो जोइए तेटला माटे अमारी एम सूचना छे के आ निबंधन ता. २५-८-३१ ना रोज मळेली बेठक वखते निमाएली नाम 'सगार सन्यास-दीक्षा प्रतिबंधक निबंध' एम राखq.
आ समितिना सभ्यो तरफथी-तेमने सुप्रत थलां कार्य अंगे उम्मरः-सगीरनी उम्मर केटलाको अढारने बदले एकनीचे मुजब रिपोर्ट कंग्लो छे. जे ता. १७-९-३१ ना राज बीश राखबा सूचना करे छे अने धणाओ ते सबन्धे सूचन कार्यवाही समितिए मंजूर कों छे.
करता नथी. अमे आ बाबतमा एवो अभिप्राय रजु करीए. कार्यवाही समितिना ठराब अनुसार जाहेर पत्रो
छीए के वडोदरा राज्यना पाल्य पालक कायदामां सगीर माटे द्वारा अने जैन युग द्वाराब हार पडेल विज्ञापन मारफते स्टेन्डौंग ,
टगवेली उमर (१८ तथा २१) आ कायदा सबन्धेना सगीर कमिटीना सभ्यो तथा अन्य बंधुओने जाग थयाथी तेमज
माटे पग कायम गखवी अने तेमां मुधारो वधारो सूचववा स्टे. कमिटीना सभ्योने लखवामां आवेल पत्रोने परिणामे जे
अमे जरुर जोता नथी. अभिप्रायो प्राप्त थया छे ते अधा तपासतां तेमज जाहेर
शिक्षा:-आ बाबतमां बहुज थोडाए चोक्कस फेरफार वर्तमान पत्रोमां आ खरडाने लगती जे हकीकतो प्रकट थइ
सुचव्यो छे अने ते एके सजानी मुदत ओछी करवी अने ते छे ते विचारतां अमे सदरहु खरडामा सुधारा बधारा थवा
सख्त न होबी जोइए. बाकीना शिक्षानी जरुरीआत स्वीकानीचे मुजब निवेदन रजु करोए छोए. सामान्यतया विचारतां आ बाबतमा श्री संघ योग्य
रता होवा छतां अभिप्रायोमा अन्य कांइ सुचना करता नथी. प्रबंध करे अने सर्वे मुनिवर्ग ते प्रमाणे वर्तवा कबूल करे तो अ
आ बाबतमां अमो एवो अभिप्राय धरावीए छीए के सजा भावा धारानी जरूरीआत नथी एम जगाय छे परंतु एम.
घटाडीने छ मास सुधीनी राखत्री तथा पहेलो गुन्हा करनारने बनवा असंभव जणाय छे एटलंज नहिं पग जूनर मुकामे
सादी अने पछीना गुन्हाओ माटे सख्त थवी जोइए. दंडनी मळेल परिषदे घगोज नरम शब्दोमां अति व्याजबी ठराव
रकम सुचवाएली छे तेमां फेरफार घटाडो वधारो कोइ तरदीक्षा सबन्धे को छे तेनो पग अमल घणे ठेकाणे दुगदा फथी मुचवायो नथी अने अमे पग तेमां फेरफार करवा पूर्वक नथी करवामां आवेलो ए. जोवाय छे ते जोता अने जरुर जोता नथी. ग्वरडानो उद्देश जोतां तेने स्वीकारवो पडे ए स्थीति उत्पन्न
- अन्य आवश्यक्ताभो - करवामां आवी छे एटले दरेक हित लक्षमा राखी मळेली १ वडोदरा राज्यनो कोइ पण वतनी राज्यनी हद बहार सूचनाओ- अभिप्रायो पर विचार करवामां आव्यो छे.
आवी दीक्षा आपे अपावे अगर मदद करे ते राज्यना विरोधः-मळेला अभिप्रायो पैकी मात्र चार गृह- आ कायदान उल्लंघन करे छे एम मनावं जोइए अने स्थोए, विरोध दर्शाव्यो छे, जेमां बे सभ्यो एम जणावे छे तेने कायदेसर शिक्षा थवी जरुरी छे. जो तेम न बने के जूनर अधिवेशन वखते थएल ठरावथी आगळ जवा जरुर तो राज्यनो वतनी परहदमा आवी दीक्षाओ आपी अपावी नथी अने राज्यनो अंकुश इष्ट नथी. आ बन्ने एक रीते जोतां शके अने तेथी खरडानो उद्देश बर न आवतां मार्यो परिषद्ना ठगवमा मूकाएल अंकुशज स्वीकारवा तैयार छ
जवा संभव छे. आ सबन्धे केटलाकोए भिती दर्शावी छे पण ते अमली नियमन राज्य तरफथी छे माटे स्वीकारवू इष्ट तेने अमे व्याजबी धारीए छीए. धारता नथी एम जणाय छे. आ उपरांत उदेपुरना बे सभ्य
२ प्रकरण १ लुं (क) ने अंते एटलु उमेर के — सन्यासजणावे छ के 'धर्मना कानून सिवाय बीजा कानून अमे इच्छता नथी; बनवा जोग छे के एकंदर वस्तु स्थीति तेमना
दीक्षामा जैनोनी प्राथमिक अगर लघु दीक्षानो पण स
मावेश थाय छे.' खुलासा तरीके आटलं उमेरवु जरुरी ग्ल्यालमा न होबा ने लइ आटलोज टुंक अभिप्राय आप्यो होय.
धारीए छीए. सहमतिः-उपर जणाव्या सिवाय बधा अभिप्रायो आवो कायदो थवा माटे सहमति दर्शावे छे अने विगतोमा २
३ प्रकरण २ जु कलम (३) पछी नीचेनो अपवाद दाखल केटलाको तरफथी सूचनाओ मली छे तेध्यानमा लइ नीचे मुजब
करवो ए. धार्मिक दृष्टिए अमने जरुरी लागे छे, अने तेथी अमो रिपोर्ट करीए. छीए.
एरीते मुचबवा अमारी खास भलामण छे. -विगतो -
अपवादः-जो कोइ पण जैन सगीरने ते ज्यांनो वतनी मथा:-आ निबंधनो आशय सगीरोनी दीक्षा उपर होय त्यांना श्रावक संवे तथा जे स्थळे तेने दीक्षा अपाती प्रतिबंध मूकवानो होइने तेनो उद्देश तेना मथाळामा स्पष्ट होय त्यांना श्रावक संघ तथा तेना माता-पिता-श्री आदि

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