Book Title: Jain Vidya 22 23
Author(s): Kamalchand Sogani & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 107
________________ 98 जैनविद्या - 22-23 एकान्तवादियों द्वारा न जीती जा सकनेवाली अजेय जिनवाणी (श्रुतदेवता) को विधिवत पूजना चाहिए। विवाह-विधि - ___पं. आशाधर ने महापुराणोक्त विवाह-विधि को अपने 'सागार धर्मामृत' में अंगीकृत किया है। तदनुसार, धार्मिक विवाह-विधि में बताया गया है कि विवाह-योग्य सत्कुलोत्पन्न कन्या के साथ विवाह की क्रिया गुरु की आज्ञा से सम्पन्न की जाती है। सबसे पहले अच्छी तरह सिद्ध भगवान का पूजन करना चाहिए। फिर, तीनों यज्ञीय अग्नियों(आहवनीय, गार्हपत्य और दक्षिण) की पूजापूर्वक विवाह की विधि प्रारम्भ की जाती है। किसी पवित्र स्थान में बड़ी विभूति के साथ सिद्ध भगवान की प्रतिमा के सामने वर-वधू का विवाहोत्सव करना चाहिए। तीन अग्नियों की प्रदक्षिणापूर्वक वर-वधू को एक-दूसरे के समीप बैठना चाहिए। देव और अग्नि के साक्ष्यपूर्वक सात दिन तक ब्रह्मचर्यव्रत धारण करना चाहिए। फिर किसी योग्य देश में भ्रमण कर तथा तीर्थभूमि में विहार करके लौटने के बाद वर-वधू का गृह-प्रवेश-विधान करना चाहिए। फिर शय्या पर शयन कर केवल सन्तान उत्पन्न करने की इच्छा से ऋतुकाल में ही काम-सेवन करना चाहिए। (तत्रैव, पृ. 95-96) __ कहना न होगा कि पं. आशाधर का वैदुष्य विस्मयकारी है। विषय-प्रतिपादन एवं तत्सम्बन्धी भाषा-भणिति पर भी उनका समान और असाधारण अधिकार परिलक्षित होता है। उनका धर्मामृत कर्मकाण्डोन्मुख धर्मशास्त्र अथवा धर्म शास्त्रोन्मुख कर्मकाण्ड का महान ग्रन्थ है। फिर भी इसका रचना-प्रकल्प सरस काव्योपम है। इस ग्रन्थ में उन्होंने केवल अनुष्टुप छन्द ही नहीं; वरन् पिंगलशास्त्र-वर्णित विविध छन्दों एवं अलंकार शास्त्र में उल्लिखित विभिन्न अलंकारों का भी प्रयोग प्रचुरता से किया है। वे संस्कृत के आकरग्रन्थों के साथ ही टीका-ग्रन्थों के निर्माताओं की परम्परा में पांक्तेय ही नहीं, अग्रणी भी हैं । भाषा उनकी वशंवदा रही, तभी तो उन्होंने इसे अपनी इच्छा के अनुसार विभिन्न भंगियों में नचाया है। वह संस्कृत-भाषा के अपरिमित शब्द-भाण्डार के अधिपति रहे, साथ ही शब्दों के कुशल प्रयोक्ता भी। उनकी प्रयोगभंगी को न समझ पानेवालों के लिए उनकी भाषा क्लिष्ट प्रतीत हो सकती है, किन्तु भाषाभिज्ञों के लिए तो वह मोद-तरंगिणी है । उस महावैयाकरण की भाषा के सन्दर्भ में यथा-प्रचलित सूक्ति विद्यावतां भागवते परीक्षा' को परिवर्तित कर हम ऐसा कह सकते हैं - 'विद्यावतां धर्मामृते परीक्षा'। - पी.एन. सिन्हा कॉलोनी भिखना पहाड़ी, पटना-800 006

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