________________
(२)
जीवो अनंत छे. तेमना वे भेद छे. कर्मो रहित ते सिद्ध अने कर्मो सहित ते संसारी. संसारी जीवोनी भिन्न भिन्न जातियो अने *योनियो छे. जे जीवो पृथ्वी, पाणी (अप् ), अग्नि (तेजस्), वायु अने वनस्पति रूपी काया-(शरीर)मां वतछे, ते मात्र स्पर्शन इन्द्रियनो विषय ग्रही शकेछे तेथी ते एकेन्द्रिय जातिना छे. कृमि आदिने स्पर्शननी साथे रसन इन्द्रिय ( जिह्वा ) पण होयछे तेथी ते दीन्द्रिय जातिना छे. जेमने उपली वेनी साथे त्रीजी घ्राण इन्द्रिय (नाक) होयछे ते कीडी प्रमुख त्रीन्द्रिय जातिमां छे. चोथी दर्शन इन्द्रिय ( आंख) जेमने वधारेमां होयछे ते भ्रमरादि चतुरिन्द्रिय छे. जेमने पांचमी श्रवण इन्द्रिय (कान) सहित उपली चार इन्द्रियो होयछे ते देव, मनुष्य, नारक अने पशु पक्षी मत्स्य सर्प नकुल वगेरे तिर्यंच पंचेन्द्रिय जातिना छे.
वनस्पति रूपे वर्तता जीवोमां बे प्रकार छे. फल, छाल, काठ, मूल, पत्र अने वीज रूपी जे वनस्पतिना एक एक शरीरमा एक जीव होयछे ते प्रत्येक वनस्पति-छे. जेमनां शिर, सांधा अने गांठो गुप्त होयछे अथवा जेमना- सरखा भाग थइ शकेछे अथवा जे तंतु रहित होयछे अथवा जे छेदाया छतां उगेछे एवी, कांदा, अंकुरा, आदु, हळदर, गाजरां, गळो, कुमारपालुं इत्यादि जे वनस्पतिनी एक एक काया-(शरीर )मां अनंत जीवो होयछे. ते
*जे जीवोनां उत्पत्तिस्थान उत्पत्तिसमये समान स्पर्श, रस, गंध ने वर्णवाळां होय तेमनी एक जातिनी योनि कहेली छे अने ए रीते सर्व जीवोनी मळी चोराशी ला जीवयोनि कहेवाय छे.-जैनमत. ____पृथ्वी (मृत्तिका) वगेरेमां चैतन्य होवानुं विज्ञान-(science) नी शोधोथी सिद्ध थयुंछे.