Book Title: Jain Tattvadarsha Purvardha Author(s): Atmaramji Maharaj Publisher: Atmanand Jain Sabha View full book textPage 7
________________ (घ ) [ स्वर्गीय आचार्य महाराज के पट्टधर श्री विजय वल्लभ सूरि के सूरत में पधारने की खुशी में ] ७८७|| ) | जंडियालागुरु से " जैनतत्वादर्श" के लिये प्राप्त | २००) श्री पूज राज ऋषि जी तिलोक ऋषिजी जंडियाला २९२॥) । सूद | २५०) ला० लालूमल मेलामल जीरा (विवाह पर ) १००) ला० गोपीमल दुर्गादास जंडियाला । २५) ला० तेजपाल हंसराज जंडियाला । ७८७) | जोड़ अन्त में हम प्रेस वालों के भी कृतज्ञ हैं, जिन्हों ने दिन रात लगा कर इस कार्य को सम्पूर्ण करने में हमें सहायता दी है। विनीत मंत्री - श्री आत्मानन्द जैन महासभा पञ्जावPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 495