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बोल नं०
__ पृष्ठ | वोन नं. ४८३ (२०) क्षायिक और औपशमिक सम्यक्त्व में
६८२ छत्तीस गुण आचार्य के ६४ क्या अन्तर है १ ११७ | १०११ छप्पन अन्तर द्वीप २७७
पतास
१८७ खरवादर पृथ्वी काय | जम्बूद्वीप में तीर्थकरोके चालीस भेद १४५ त्पत्ति के ३४ क्षेत्र
६४ (३४) जीवन की १६८ गणितयोग्य कालपरि
अस्थिरता गाथा १०- २२५ माण के ४६ भेद २३३ / ९८३ (२४) जीव हल्का और ८० गृहस्थ धर्म के पैंतीस
भारी किस प्रकार ___ होता है?
१२० १८३ (१३) ग्लान साधु
की सेवा करना क्या ६३ (३५) तथारूप के साधु के लिये आव
असंयती अविरति को श्यक है या उसकी
प्रासुक या अप्रासुक इच्छा पर निर्भर है ? १०० आहार देने से एकान्त
पाप होना भगवती श०८ ६८३ (१०) चतुदर्शन की
३०६ में किस अपेक्षा तरह श्रोत्रादि दर्शन
से बतलाया है १ १३० क्यों नहीं कहे गये ? ८६४ (२६) तप गांथा ११-- २०२ श्रोत्रादि भी चक्षु की १००१ तिर्यश्च के अड़तालीस तरह दर्शन में कारण
भेद
२६५ तो ही।
६८३ (४) तीर्थकर दीक्षा ६६४ (१२) चोरी का
समय किसे नमस्कार त्याग गाथा ५
करते हैं? १७७ चौतीस अतिशय
६७७ तीर्थकर देव के तीर्थकर देव के
चौतीस अतिशय