Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 07
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 16
________________ तीस ६१ । [१२] बोल नं. पृष्ठ / बोल नं. ६४ (२८) आत्म-दमन में आने वाली इकगाथा १६ २०७१ तालीस प्रकृतियां १४६ ४ (४) आत्मा गाथा ७-१५६ ६६४ (४१) आलोचना | १८३ (२०) औपशमिक और गाथा ८ २४६ क्षायिक सम्यक्त्व में १७५ आशातनाएं तेतीस क्या अन्तर है? ६२ आश्रव के बयालीस भेद १४६ ६६४ (३०) कठोर वचन १००० आहार के सैतालीस | गाथा ! २१४ . २६५ | ६६४ (३१) कर्मों की सफ६. आहारादि के बयालीस लता गाथा ५ २१६ दोष १४६ ६४ (३८) कषाय गाथा २३ २३६ १८०६ उत्तम पुरुप चौपन २७७ १८३ (३२) काठिया के तेरह ६७३ उत्तराध्ययन सूत्र के बोलों का वर्णन ग्यारहवें अ० की कहां है ? १२६ बत्तीस गाथाएं ५१ / ८४ (३२) कामभोगों की १८४ उत्तराध्ययन सूत्र के । भसारता गाथा १६-२१८ दसर्व अ० की मैतीस ELE कालपरिमाण के गाथाएं छियालीस भेद २६३ ६६६ उत्तराव्ययन सूत्र के ८६ कुलपर्वत उनचालीस १४४ पच्चीसवें अध्ययन की ६८३ (२६) क्या सभी मनुष्य पैंतालीस गाथाए २५४ एक सी क्रिया वाले ६७२ उत्तराध्ययन सूत्र के होते हैं १२१ पांचवें अ० की बतीस ६४ (७) क्रिया रहित गाथाए ४६ | ज्ञान गाथा ४ १६२ L८९ उदीरणा बिना उदय ४ (४३)क्षमापना गाथा -२५०


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