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श्री सेठिया जैन ग्रन्थमाला
समय भी योज हों तो उसे योजत्रयोज कहते हैं। जैसे- १५ । पन्द्रह में से चार को तीन ही बार घटाया जा सकता है इस लिए अपहार समय ज्योज हैं और चार चार घटाने पर तीन वचते हैं इस लिए राशि भी ज्योज है।
(७) योज द्वापर युग्म- जो राशि द्वापर हो अर्थात् चार चार घटाने पर दो वाकी बचें और अपहार समय त्रयोज हों अर्थात् तीन हो तो उसे योजद्वापरयुग्म कहते हैं। जैसे-१४। चौदह में चार चार को तीन ही वार घटाया जा सकता है इस लिए अपहार समय व्योज हैं और चौदह संख्या द्वापर है।
(८) ज्योज कल्योज-जो राशि फल्योज हो अर्थात् जिसमें चार चार घटाने पर एक बाकी वचता हो और अपहार समययोज हो उसे त्र्योजकल्योजकहते हैं। जैसे १३ । तेरह में चार चारको तीन ही वार घटाया जा सकता है इस लिए अपहार समय व्योज हैं और तेरह संख्या कल्योज है।
(६) द्वापरयुग्म कृतयुग्म- जो राशि कृतयुग्म हो अर्थात् चार चार घटाने पर अन्त में चार ही रहें कुछ बाकी न वचेतथा अपहार समय द्वापर हों अर्थात् अन्त में दो बचें तो उसे कृतयुग्म द्वापरयुग्म कहते हैं । जैसे-८/आठ में से चार चार कम करने पर शेप कुछ नहीं वचता इस लिए यह कृतयुग्म है और दो ही वार घटाया जा सकता है इस लिए अपहार समय द्वापरयुग्म हैं।
(१०) द्वापरयुग्म योज-जोराशियोज हो अर्थात जिसमें चार चार घटाने पर बाकी तीन बच जायें और अपहार समय द्वापरयुग्म हो तो उसे द्वापर युग्म व्योज कहते हैं। जैसे- ११ । ग्यारह में चार को दो हीबार घटाया जा सकता है, इस लिए अपहार समय द्वापर है और चार चार घटाने पर तीन वाकी वच जाते हैं इसलिए अपहियमाण वस्तु त्रयोज है।