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• , पांचवां भाग १७७ . ...mo ~~ ~~~ .....
न्यून या अधिक न हो। ' गँवार स्त्री द्वारा उन्टी सीपी उलट पलट वर्णों वाला हो उसे में वर्गों की रचना ठीक हो उसे अक्षर की अपेक्षा है, पद या
* भूमि में चलाए गए हल के स्खलना अर्थात् भूल न हो उसे
धान्यों के ढेर के समान जहाँ सूत्र हो उसे अमिलित करते हैं अथवा
. में मिले हुए न हों, सभी जुदे
एक ही शास में भिम भिम स्थानों वाले सूत्रों को एक जगह लाकर
भाचार भादि में अपने आप मूत्र कर पढ़नाव्यत्या हित है, अथवा
क्रम से न रखनाव्यत्याम्रोटित के शत्रु राक्षस नष्ट हो गए। वास्तव बाद राम को राज्य प्राप्त हुआ था।
. 'डित है। जो वाक्य व्यत्या'डितकहते हैं। सूत्र में गायानों का परिमाण छन्द, सूत्र से परिपूर्ण कहते हैं। जिसमें भर्य से परिपूर्ण कहते हैं अर्थात् भादि भावश्यक पदों की हीनता