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भी सेठिया जैन ग्रन्थमाला
का कुशल समाचार पूछा। कुशल समाचार कहने के बाद ब्राह्मण ने कहा कि राजा भीम ने राजा नल और दमयन्ती की खोज के लिए चारों दिशाओं में अपने दूत भेज रखे हैं किन्तु अभी उनका कहीं भी पता नहीं लगा है। सुनते हैं कि राजा नल दमयन्ती को जंगला में अकेली छोड़ कर चला गया है। इस समाचार से राजा भीम की चिन्ता और भी बढ़ गई है। नल और दमयन्ती की बहुत खोज की किन्तु उनका कहीं भी पता नहीं लगा। माविरनिराश होकर अब मैं वापिस कुण्टिनपुर लौट रहा हूँ। ___ भोजन करके ब्राह्मण विश्राम करने चला गया। शाम को घूमता हुया ब्राह्मण राजा की दानशाला में पहुंचा। दान देती हुई कन्या को देख फर वह आगे बढ़ा। वह उसे परिचित सी मालूम पड़ी। नजदीक पहुँचने पर उसे पहिचानने में देर न लगी। दमयन्ती ने भी ब्राह्मण को पहिचान लिया।
ब्राह्मण ने जाकर रानी चन्द्रयशा को खबर दी। वह तत्काल दानशाला में आई और दमयन्ती से प्रेमपूर्वक मिली । न पहिमानने के कारण उसने दमयन्ती से दासी का काम लिया था इसलिए वह पश्चात्ताप करने लगी और दमयन्ती से अपने अपराध के लिए क्षमा मांगने लगी। रानी चन्द्रयशा दमयन्ती को साथ लेकरमहलों में आई। इस बात का पता जब राजा ऋतुपर्ण को लगा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ।
इसके बाद ब्राह्मण की प्राथना पर राजा ऋतुपर्ण ने दमयन्ती को धूमधाम के साथ कुण्डिनपुर की ओर रवाना किया। यह खबर राजा भीम के पास पहुंची। उसे बड़ी प्रसन्नता हुई। कुछ सामन्तों को उसके सामने भेजा। महलों में पहुँच कर दमयन्ती ने मातापिता को प्रणाम किया। इसके पश्चात उसने अपनी सारी दुःखकहानी फट पुनाई । किस तरह राजा नल उसे भयंकर वन में अकेली