Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 05
Author(s): Bhairodan Sethiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner
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________________ श्री सेठिया जैन पन्थमाला anorammarrrrrma rmwww.mms rumwwmwww.ram दे दी। वे सव सुनार मिथिला से निकल कर वाराणसी नगरी में आये। वहाँ के राजा शंख के पास जाकर वाराणसी में रहने की आज्ञा मांगी / राजा ने उनसे देशनिकाला देने का कारण पूछा। सुनारों ने सारा वृत्तान्त कहा और मल्लिकुंवरी के रूप लावण्य की प्रशंसा की। उसे सुन कर मल्लिकुंवरी के साथ विवाह करने की इच्छा से राजा शंख ने एक दत मिथिला भेजा। मिथिला के राजा कुम्भ के पुत्र का नाम मल्लदिन्न था। वह युवराज था। एक समय शहर के सब चित्रकारों को बुलाकर मल्लदिन्न कमार ने अपने सभाभवन को चित्रित करने की आज्ञा दी। चित्रकारों ने राजकुमार की आज्ञा स्वीकार कर अपना काम शुरु कर दिया। उन सब चित्रकारों में एक चित्रकार को ऐसी लब्धि थी कि किसी भी पदार्थ का एक अवयव देख कर सारे का बहू चित्र वना सकता था। एक समय महल में बैठी हुई मल्लिकुंवरी के पैर का अंगठा चित्रकार की नजरों में पड़ गया। उसने लब्धि के प्रभाव से मल्लिकुँवरी का हूबहू चित्र सभाभवन में चित्रित कर दिया। जव सभाभवन पूरा चित्रित होगया तो राजकुमार उसे देखने के लिये आया। विविध प्रकार के चित्रों को देख कर वह बहुत प्रसन्न हुआ। आगे बढ़ने पर उसने अपनीवड़ी वहिन मल्लिकुंवरी का चित्र देखा। उसे देख कर वह उस चित्रकार पर कुपित होगया। उसने इस चित्रकार को अपने राज्य से निकल जाने की भाज्ञा दी। वह चित्रकार मिथिला से निकल कर हस्तिनापुर में पाया / वहाँ के राजा अदीनशत्रु के पास जाकर उसने वहाँ रहने की आज्ञा मॉगी। राजा के पूछने पर चित्रकार ने अपना सारा वृत्तान्त कहा और मल्लिकुंवरी का चित्र उसे वताया। चित्र को देख कर राजाउस पर मोहित होगया ।मल्लिकुँवरी के साथ विवाह करने की इच्छा से राजा ने अपना एक दत मिथिला को भेजा।

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