________________
मास्कर
[ भाग ६
( ४ ) गान-आठ नौ शिला लेख का है तुममें दुर्लभ धन श्रावक-राजा-मेनानी श्राविका-आर्यिका मुनिजन धीर-धीर-गम्भीर कथाएं धर्म-कार्य सञ्चालन उन शिलालेखों में है इनका सुन्दरतम वर्णन
दर्शन कर इस पुण्य क्षेत्र का जीवन सफल वनाओ वन्दनीय हे जैनतीर्थ तुम युग-युग में जय पाओ ॥
पंगु-रक्षा पर प्राण दिये जिन लोगों ने हँस हँस कर चीर-वधू सावि* लड़ी पति-सँग समर के स्थल पर चन्द्रगुप्त सम्राट मौर्य का जीवन अति-उज्ज्वलतर निनित है इसमे इन सब का स्मृति-पट महामनोहर
आ-आ एक बार तुम भी इसके दर्शन कर जाओ वन्दनीय हे जैनतीर्थ तुम युग-युग में जय पाओ ॥
मन्दिर अनि-प्राचीन कलामय यहाँ अनेक सुहाते दुर्लभ मानम्नम्भ मनोहर अनुपम छवि दिखलाते मा अनेकानेक विदेशी दर्शनार्थ हैं आते या नित्र निर्माण देस आश्चर्य-चकित रह जाते
अपनी निरुपम कला देखने देशवासियों । आओ चन्दय हे जैनतीर्थ तुम युग-युग में जय पाओ ।
मा गोगटेर मावलि की अति-गौरवशाली
नी है चित्त-लुभानेवाली * मा म गम मारियो । के बी० शास्त्री।