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[मागद
भास्कर
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किये ही रहने दिया है जव कि कुछ भाग पर वार्तिकों के ढंग से ही व्याख्यान किया है। अव्याख्यात कारिकाएं दो प्रकार की हैं-एक' तो वार्तिकोक्त बातों का केवल स्ग्रह के रूप में है और वे प्राय उस सूत्र के व्याख्यान के अन्त में पाई जाती है, जिनसे वे सम्बन्ध रखती है। दूसरी प्रकार की अन्याख्यात कारिकाएँ वार्तिकों का केवल संग्रहीत रूप नहीं है, किन्तु वे भाष्य के विवरण की आवश्यक अङ्गभूत है। पाणिनि व्याकरण के विशिष्ट अभ्यासी पं० गोल्ड स्टूकर का मत है कि ये अव्याख्यात कारिकाएँ कात्यायन को वार्तिकों के बाद में रची गई हैं।
वार्तिक और कारिकाओं के सिवाय महाभाष्य में जो तीसरी वस्तु ध्यान देने योग्य है, यह है परिभाषाएँ। कुछ परिभाषाएँ कात्यायन से पहले की मानो जाती हैं, क्योंकि फात्यायन ने अपनी वार्तिकों में उन्हें उद्धृत किया है।
महाभाष्य के इस विहगावलोकन से हम इस परिणाम पर पहुंचते हैं कि पाणिनिव्याकरण पर कात्यायन के वार्तिक रचे जाने के बाद, तथा उन वार्तिकों के ऊपर भी भारद्वाजीय वगैरह वैयाकरणों के प्रति-वार्तिकों तथा कारिकाओं की रचना होने के बाद पतञ्जलि ने अपना महाभाष्य बनाया था। कात्यायन ने पाणिनि के लगभग आधे सूत्रों पर वार्तिक रची है, जिनकी संख्या ४००० से भी अधिक है। इन वातिकों के द्वारा कात्यायन ने पाणिनि-व्याकरण को बहुत सी कमियों की पूर्ति की है, अनेक नियमों में परिवर्तन और परिवर्धन किया है। उनके देखने से पता चलता है कि पाणिनि के समय में जो प्रयोग १ इस प्रकार की कारिकाओं के बारे मे टीकाकार भी स्पष्ट उल्लेख करते हैं। यथा
२-१-६० सूत्र की व्याख्या मे कैयट लिखते हैं-"पूर्व एवार्थः आर्यया संगृहीत." २-४-८५ मे "एष एवाथे आर्यया दर्शितः। २-४-८५, कारिका २, ३, मे-"पूर्वोक्त एवाथः श्लोकेन संगृहीतः।" इत्यादि । दूसरी प्रकार की कारिकाएँ ४-१-४४ सूत्र की चर्चा में पाई जाती है। यथा-गुणवचनादित्युच्यते । को गुणो नाम ? सत्वे निवेशते ...' इत्यादि । इसी के आगे "अपरःआह” करके 'उपैत्यन्यद् जहात्यन्यद्' इत्यादि अव्याख्यात कारिका है। तथा ४-१-६३ मा "जातेरित्युच्यते। का जाति म ? आकृतिग्रहणा जातिः ... " इत्यादि। "इसार आगे 'अपरः आह' करके 'प्रादुर्भावविनाशाभ्याम्" इत्यादि कारिका है जो दूसरा मत
बतलाती है। ३ १-१-६५ पर एक वातिक इस प्रकार है- अन्त्यविज्ञानात्सिद्धमिति चेन्नानथकला
विधिरनभ्यासविकारे।" इसका 'नानर्थके' इत्यादि अंश परिभाषा है, जो भाष्य । स्पष्ट है।