Book Title: Jain Sahitya Samaroha Guchha 2
Author(s): Ramanlal C Shah, Kantilal D Kora, Pannalal R Shah, Gulab Dedhiya
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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'जैन मुनियों के नामान्त पद या नन्दियाँ 53 रन 54 रक्षित 55 राज ...56 रुचि 57 रंग 58 लब्धि 59 लाभ 60 वर्द्धन 61 वल्लभ 62 विजय 63 विनय ... 64 विमल 65. विलास 66 विशाल 67 शील 68 शेखर 69 समुद्र
70 सत्य 71 सागर ...72 सार 73 सिन्धुर 74 सिह
75 सुख 76 सुन्दर 77 सेन 78 सोम 79 सौभाग्य 80 संयम 81 हर्ष 82 हित 83 हेम . 84 हंस
. निम्नोक्त नामान्त पदों का भी उल्लेख मात्र मिलता है, पर व्यवहृत होते नहीं देखे गये :--..
__कनक, पर्वत, चरित्र, ललित, प्राज्ञ, मुक्ति, दास, गिरि, नंद, मान, प्रीति, छत्र, फण, प्रभद्र, तिय, हिंस, गज, लक्ष्य, वर, धर, सूर, सुकाल, मोह, क्षेम, वीर (खरतरगच्छ में नहीं), तुंग (अंचलगच्छ) । इनमें से कई पद नाम के पूर्वपद रूप में अवश्य व्यवहृत हैं।
.....इसी प्रकार साध्वियों की नन्दियाँ (नामान्त पद) भी ८४ ही कही जाती हैं, पर उनकी सूची अद्यावधि कहीं भी हमारे अवलोकन में, नहीं आई । हमने प्राचीन ग्रन्थों, पत्रों, टिप्पणकों आदि से जो कुछ नामान्त पद प्राप्त किये वे ये हैं :
१ श्री, २ माला, ३ चूला, ४ नती, ५ मति, ६ प्रभा, ७ लक्ष्मी, ८ सुन्दरी, १ सिद्धि, १० निधि, ११ वृद्धि, १२ समृद्धि, १३ वृष्टि, १४ दर्शना, १५ धर्मा, १६ मंजरी, १७ देवी, १८ श्रिया, १९ शोभा, २० वल्ली, २१ ऋद्धि, २२ सेना, २३ शिक्षा, २४ रुचि, '३६ शीला, २६ विजया, २७ “महिमा, ३८ चन्द्रिको ।
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