Book Title: Jain Sahitya Samaroha Guchha 2
Author(s): Ramanlal C Shah, Kantilal D Kora, Pannalal R Shah, Gulab Dedhiya
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text
________________
16
जैन साहित्य समारोह - गुच्छ २
कितना उत्तम हो ! बिकानेर भीपूज्यों की गद्दी का दफतर देखा है एवं आचार्य शाखा की कुछ दीक्षानंदी सूचियाँ मिली हैं । अन्य सभी शाखाओं की सामग्री खो गई- नष्ट हो गई है । परंतु प्राप्त दफतर में जो यति-मुनियों की नामावली दी है, वह इस प्रकार है :
श्रीमन्नृपति विक्रमादित्य राज्यात् सं. १७०७ वर्षे शाके १५७२ प्रमि ते मासोत्तम वैशाख मासे शुक्लपक्षे तृतीया यां ३ तिथौ श्रीमज्जेशलमेरुमध्ये भट्टारक | श्री जिनरत्नसूरिभिर्लाभिनंदीकृता ॥
पूर्वनाम
दीक्षानाम
मोहण
महिमालाभ
केशव
कनकलाभ
मिती मिंगसर सुदि १२ जेसलमेरु मध्ये
डाहा
खेतसी
दयालाभ
क्षमालाभ
हर्षलाभ
विजयलाभ
विद्यालाभ
उदयलाभ
हेमराज
वीदौ
वस्तौ
अमीचंद
मिती फागण वदि १ श्री मेड़ता नगरे
भूपति
भक्तिलाभ
खेतसी
कुशललाभ
ठाकुरसी
शांतिलाभ
सांवल
संतोषौ
लद्धौ
Jain Education International
सुखलाभ
सुमतिलाभ
लक्ष्मीलाभ
――
गुरुनाम
उ. राजविजयगणेः
पद्मरंग रो
श्रीजिताम्
33
23
39
39
सुमतिधर्म रे
For Private & Personal Use Only
कुशलधीर रो
37
शांतिहर्ष रौ
सुमतिरंग रौ
साधुहर्ष रौ
सहज हर्ष रौ
www.jainelibrary.org