Book Title: Jain Sahitya Samaroha Guchha 2
Author(s): Ramanlal C Shah, Kantilal D Kora, Pannalal R Shah, Gulab Dedhiya
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 417
________________ 30 असंख्यात समय -२५६ आवलिका : एक आवलिका ( सब से छोटी आयु ) : एक क्षुल्लक भव t -१७ क्षुल्लक भव अथवा ३७७३ आवलिका : एक उच्छवास १७ क्षुल्लक भव अथवा ३७७३ आवलिका : एक निश्वास: एक उच्छावसिनिश्वास अथवा ७५४६ आवलिका : एक प्राण ( पाशु ) : एक स्तोक ( थोक ) ७ प्राण ७ स्तोक ३८ १/२ लव ७७ लव या ३७७३ ३० मुहूर्त १५ अहोरात्र २ पक्ष २ मास ३ ऋतु २ अयन श्वासोच्छवास : एक मुहूर्त ( ४८ मिनट) या १६७७७२१६ आवलिका ) : एक अहोरात्र : एक पक्ष : ५ वर्ष ८४ लाख वर्ष ८४ लाख पूवाँग जैन साहित्य समारोह - गुच्छ २ : एक लव : एक घडी ( २४ मिनट ) Jain Education International : एक मास : एक ऋतु : एक अयन : एक वर्ष : एक युग : एक पूवाँग : एक पूर्व । समय का इतना सूक्ष्म परिमाण साधारणतः बुद्धिग्राह्य नहीं है" और व्यवहार में इसका अंकन ही सम्भव है लगता है, परन्तु वर्तमान में विज्ञान ने समय आणविक घड़ियों का आविष्कार किया है, उससे हो गया है। यथा : 1 अतः एक कल्पना मात्र नापने के लिये जिन अनुमान लगाना संभव = For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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