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जैन साहित्य समारोह - गुच्छ २
कितना उत्तम हो ! बिकानेर भीपूज्यों की गद्दी का दफतर देखा है एवं आचार्य शाखा की कुछ दीक्षानंदी सूचियाँ मिली हैं । अन्य सभी शाखाओं की सामग्री खो गई- नष्ट हो गई है । परंतु प्राप्त दफतर में जो यति-मुनियों की नामावली दी है, वह इस प्रकार है :
श्रीमन्नृपति विक्रमादित्य राज्यात् सं. १७०७ वर्षे शाके १५७२ प्रमि ते मासोत्तम वैशाख मासे शुक्लपक्षे तृतीया यां ३ तिथौ श्रीमज्जेशलमेरुमध्ये भट्टारक | श्री जिनरत्नसूरिभिर्लाभिनंदीकृता ॥
पूर्वनाम
दीक्षानाम
मोहण
महिमालाभ
केशव
कनकलाभ
मिती मिंगसर सुदि १२ जेसलमेरु मध्ये
डाहा
खेतसी
दयालाभ
क्षमालाभ
हर्षलाभ
विजयलाभ
विद्यालाभ
उदयलाभ
हेमराज
वीदौ
वस्तौ
अमीचंद
मिती फागण वदि १ श्री मेड़ता नगरे
भूपति
भक्तिलाभ
खेतसी
कुशललाभ
ठाकुरसी
शांतिलाभ
सांवल
संतोषौ
लद्धौ
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सुखलाभ
सुमतिलाभ
लक्ष्मीलाभ
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गुरुनाम
उ. राजविजयगणेः
पद्मरंग रो
श्रीजिताम्
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सुमतिधर्म रे
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कुशलधीर रो
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शांतिहर्ष रौ
सुमतिरंग रौ
साधुहर्ष रौ
सहज हर्ष रौ
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