Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 2
Author(s): Jagdishchandra Jain, Mohanlal Mehta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 16
________________ २. दशाश्रुतस्कन्ध अथवा आचारदशा असमाधि स्थान शबल-दोष आशातनाएँ गणि-सम्पदा चित्तसमाधि स्थान उपासक-प्रतिमाएँ भिक्षु प्रतिमाएँ पर्युषणा - कल्प ( कल्पसूत्र ) मोहनीय-स्थान आयति-स्थान बृहत्कल्प प्रथम उद्देश द्वितीय उद्देश तृतीय उद्देश चतुर्थ उद्देश पंचम उद्देश षष्ठ उद्देश ३. व्यवहार प्रथम उद्देश द्वितीय उद्देश तृतीय उद्देश चतुर्थ उद्देश पंचम उद्देश षष्ठ उद्देश सतम उद्देश अष्टम उद्देश नवम उद्देश दशम उद्देश ४. निशीथ पहला उद्देश ( १५ ) Jain Education International For Private & Personal Use Only २१६ २१९ २१९ २२० २२१ २२२ २२२ २२५ २२६ २३० २३२ २३७-२५३ २३७ ૨૪૨ ૨૪. -२४७ २५० २५२ २५७-२६९ २५८ २६० २६१ २६२ २६४ २६४ २६५ २६६ २६७ २६७ २७३-२८७ २७३ www.jainelibrary.org

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