Book Title: Jain Puran kosha
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 486
________________ ४६८ जैन पुराणोद : सोमप्रभ (१) भरतक्षेत्र में जांगल देश के हस्तिनापुर नगर का राजा । कुरुवंश का तिलक राजा श्रेयांस इसका छोटा भाई था । इसने संसार के यथार्थ स्वरूप को जानकर जयकुमार को राज्य दे दिया था तथा स्वयं अपने छोटे भाई श्रेयांस के साथ वृषभदेव से दीक्षित होकर यह उनका गणधर हुआ I मपु० २०.३०-३१, २४.१७४, ४३.७८-८६ हपु० ४५ ६-७ दे० सोम राजा। सुप्रभ बलभद्र के (२) भरत क्षेत्र की द्वारवती नगरी का ये पिता थे । मपु० ६०.४९, ६३ सोमप्रभा - पूर्वधातकीखण्ड द्वीप के मंगलावती देश में स्थित रत्नसंचयनगर के राजा पद्मनाभ की रानी । स्वर्णनाभ की यह जननी थी । म० ५४.१३०-१३१, १४१ सोममृति-सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम। मपु० २५.१२८ सोमवश- वृषभदेव का पौत्र और बाहुबलि का पुत्र । चन्द्रवंश की स्थापना इसी के नाम पर हुई थी । महाबल इसका पुत्र था । पपु० ५.१०-१२, हपु० १३.१६-१७ - पुत्र को सोमयशासौयंपुर के सुमन ताप की स्त्री इन दोनों के पूर्वभव के स्नेहवश जृम्भक देव उठा ले गया था तथा उसने मणिकांचन गुहा में उसका पालन किया था। इनका यही पुत्र नारद नाम से विख्यात हुआ । हपु० ४२.१४-२० दे० नारद सोमला - मगध देश के राजा की पुत्री । पिता ने विजयपुर नगर में वसुदेव के साथ इसे विवाह दिया था । पापु० ११.१७-१८ सोमवंश-वृषभदेव का दोष और बालिका पुत्र सोमवश इस वंश का संस्थापक था । इस वंश का अपर नाम चन्द्रवंश भी है। दान की प्रवृत्ति इसी वंश से आरम्भ हुई थी। यह इक्ष्वाकुवंश से उत्पन्न हुआ था । मपु० ४४.४०, हपु० १३.१६,३३ सोमशर्मा - ( १ ) पुराणों के अर्थ, वेद तथा व्याकरण के रहस्य को जाननेवाला बनारस का एक ब्राह्मण | सोमिला इसकी पत्नी थी । इन दोनों की दो पुत्रियाँ थीं-भद्रा और सुलषा । हपु० २१.१३१ १३२ (२) एक ब्राह्मण । इसने अपनी कन्या सोमश्री का विवाह कृष्ण के भाई गजकुमार से करने का निश्चय किया ही था कि गजकुमार विरक्त होकर दीक्षित हो गया। गजकुमार के ऐसा करने से क्रोध में आकर इसने उनके सिर पर अग्नि जलाई थी । इस उपसर्ग को जीतकर गजकुमार मोक्ष गया । हपु० ६०.१२६, ६१.२-७ (३) पद्मिनोखेट नगर का एक ब्राह्मण । हिरण्यलोमा इसकी पत्नी तथा चन्द्रानना पुत्री थी । पापु० ४.१०७-१०८ (४) कुरुदेश के पलाशकूट का निवासी एक दरिद्र ब्राह्मण । इसका पुत्र नन्दि था । मपु० ७०.२००-२०१ (५) मगधदेश की वत्सा नगरी के निवासी विभूति ब्राह्मण का ससुर । इसकी पुत्री सोमिला थी । मपु० ७५.७०-७३ सोमश्री - ( १ ) चम्पा नगरी के अग्निभूति ब्राह्मण तथा उसकी स्त्री अग्निला की तीन पुत्रियों में दूसरो पुत्री । इनका विवाह इसके फुफेरे Jain Education International सोमप्रभ सौत्रामणि · भाई सोमिल से हुआ था। अपनी बहिन नागश्री द्वारा विष मिश्रित आहार देकर मुनि को मार डालने की घटना से दुखी होकर पतिपत्नी (सोमिल और सोमश्री) दोनों दीक्षित हो गये थे । आयु के अन्त में मरकर दोनों देव हुए तथा स्वर्ग से चयकर यह सहदेव हुई थी । ० ६४.४-१३ १३७-११८ (२) गिरितट नगर के निवासी वसुदेव ब्राह्मण की पुत्री । कुमार वसुदेव ने वेदों का अध्ययन करने के पश्चात् विधिपूर्वक इसके साथ विवाह किया था । हपु० २३.२६-२९, १५१ (३) महापुर नगर के राजा सोमदत्त की पुत्री । यह भूरिश्रवा की बहिन थी । वसुदेव ने इसे अपने पूर्वभव की स्त्री जानकर इससे विवाह किया था । पु० २४.३७, ५०-५२, ५९, ६१-७६ (४) विदेहक्षेत्र के पुष्कलावती देश की पुण्डरीकिणी नगरी के राजा अशोक की रानी । कृष्ण को पटरानी सुलक्षणा के पूर्वभव का जीव इसकी श्रीकान्ता नाम की पुत्री थी । मपु० ७१.३९४-३९६ (५) कुम्भकारकट नगर के निवासी चंडकौशिक ब्राह्मण को पत्नी । इसने भूतों की आराधना से हुए अपने पुत्र का नाम मौण्ड्यकौशिक रखा था । पापु० ४.१२६ सोमा - ( १ ) भरतक्षेत्र में मगधदेश के राजगृह नगर के राजा सुमित्र की रानी । तीर्थंकर मुनिसुव्रत की ये जननी थी। मपु० ६७.२०-२१, २७-२८ (२) विजयखेट नगर के निवासी सुग्रीव गन्धर्वाचार्य की पुत्री । इसकी एक छोटी बहिन थी जिसका नाम विजयसेना था । वसुदेव ने गन्धर्व-विद्या में दोनों को पराजित करके उनके साथ विवाह किया था । हपु० १९.५३-५८ (३) सोमशर्मा ब्राह्मण की कन्या जिसे कृष्ण के भाई गजकुमार के लिए देने का निश्चय किया गया था । हपु० ६०.१२७-१२८ दे० सोमशर्मा - २ सोमिनी-श्रृंगपुर के प्रियमित्र सेठ की पत्नी इन दोनों को एक नयनसुन्दरी नाम की कन्या थी जो दुधिष्ठिर को दी गयी थी। हपु० ४५.९५, १००-१०२ सोमिल – चम्पापुर नगर के सोमदेव ब्राह्मण का पुत्र यह भीम पाण्डव का जीव था । मपु० ७२.२२८-२३१, २३७, २६१, दे० सोमदत्त-४ और सोमश्री - १ सोमिला - (१) सोमशर्मा की पत्नी । दे० सोमशर्मा - १ (२) वत्सा नगरो के शिवभूति ब्राह्मण की पत्नी । दे० सोमशर्मा - ५ सोल्व - भरतक्षेत्र के मध्य आर्यखण्ड का एक देश । हपु० ११.६५ दे० For Private & Personal Use Only साल्व सौकर - विजयार्ध को उत्तरश्रेणी का बीसवाँ नगर । हपु० २२.८७ सौगन्धिक मानुषोत्तरपवंत की पूर्व दिशा में विद्यमान एक कूट। यह सुपर्णकुमारों के स्वामी यशोधर देव को निवासभूमि है । हपु० ५. ६०२-६०३ सौत्रामणि -- एक वैदिक यज्ञ । इन्द्र इस यज्ञ का देव है । पपु० ११.८५ www.jainelibrary.org

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