Book Title: Jain Puran kosha
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 518
________________ ५०० : जैन पुराणकोश परिशिष्ट ३८ क्रमांक नाम २९. आदिपुरुष ३०. आद्यकवि ३१. इज्य ३२. इन ३३. ईश ३४. ईशान ३५. उत्तमोऽनुत्तर ३६. कंजसंजात ३७. कर्मारातिनिशुम्भन ३८. कामजिज्जेत्ता ३९. गरिमास्पद ४०. गरिष्ठ ४१. गुणाकर ४२. छन्दोविद् ४३. छन्दकर्ता ४४. जगभर्ता ४५. जित्वर ४६. जिन ४७. जिनकुंजर ४८. जिष्णु ४९. ज्येष्ठ ५०. तमोरि ५१. धर्मध्वज ५२. धर्मनायक ५३. धर्मपति २४. धर्मादि १५. ध्येय ५६. नित्य ५७. निरंजन १८. निरुद्ध ५९. परंज्योति ६०. परमतत्त्व ६१. परमात्मा ६२. परमेष्ठी ६३. पुण्यनायक ६४. पुण्यगण्य ६५. पुमान ६६. पुराण ६७. पुरु ६८. पूत ६९. प्रभूष्णु श्लोक क्रमांक नाम श्लोक क्रमांक नाम श्लोक क्रमांक नाम श्लोक ३१ ७०. बुद्ध ३८ १११. शंभव ३६ १२३. स्येष्ठ ___७१. ब्रह्मपदेश्वर ४५ ११२. शम्भु ३६ १२४. स्रष्टा ७२. ब्रह्मविद्ध्येय ४५ ११३. शंयु ३६ १२५. स्वयंप्रभ ३४ ७३. ब्रह्मा ३० ११४. शंवद ३६ १२६. स्वयंभू ३४ ७४. भगवान् ३३ ११५. शरण्य ३७ १२७. हर ७५. भवान्तक ४४ ११६. शान्त ४४ १२८. हरि ७६. भव्यभास्कर ३६ ११७. शिव ४४ १२९. हवि ७७. भव्याब्जिनीबन्धु ४१ ११८. सयोगी ३८ १३०. हविर्भुक् ४० ७८. भूष्णु ४४ ११९. सिद्ध ३८ १३१. हव्य ४० ७९. मखज्येष्ठ ४१ १२०. सूक्ष्म ३८ १३२. हिरण्यगर्भ ४३ ८०. मखांग ४१ १२१. स्थवीयान ४३ १३३. होता ४३ ८१. महान् ४४ १२२. स्थास्नु ८२. महीयान् महापुराण के पर्व २४ श्लोक ३० से ४५ का अध्ययन करने से ज्ञात ८३. महीयित होता है कि चक्रवर्ती भरतेश ने १३३ नामों से वृषभदेव की स्तुति की है ३९ ८४. महेश्वर जबकि श्लोक ४६ में उनके द्वारा वृषभदेव के १०८ नामों का हृदय से ८५. मह्य स्मरण कर स्तुति किया जाना बताया गया है । ८६. मोहसुरारि नामों का अर्थ-साम्य की दृष्टि से अध्ययन किए जाने पर ऐसा ८७. यज्वा प्रतीत होता है कि १०८ नामों से अधिक आये २५ नामों की पुनरावृत्ति ८८. योगविदांवर ३५ ८९. योगात्मा ३८ भिन्न-भिन्न नाम होते हुए भी जो नाम समान अर्थ में आये हैं, वे ४३ ९०. योगी ३७ निम्न प्रकार हैं३६ ९१. वदतांवर ३९ क्रमांक सामान्य नाम श्लोक समान अर्थ में व्यवहृत नाम श्लोक ४० ९२. वरेण्य १. अक्षय्य ३५ नित्य ३९ ९३. वाचस्पति ३९ २. अक्षर अनश्वर ४० ९४. विजिष्णु ३५ ३. अच्युत स्थेष्ठ ३९ ९५. विधाता अनित्वर स्थवीयान् ४५ ९६. विभु अपारि अरिहा ४४ ९७. वियोनिक अयोनिज वियोनिक ३८ ९८. विश्वतोमुख अरिहा मोहसुरारि ३८ ९९. विश्वतोऽक्षिमयज्योति आज्य हव्य ३० १००. विश्वदृक् इज्य मह्य ३३ १०१. विश्वभुक् ३२ १०. ३३ १०२. विश्वयोनि ३२ ११. ईशान ३३ १०३. विश्वराड् ३१ १२. परमज्योति अधिज्योति ३७ १०४. विश्वव्यापी ३२ १३. परमात्मा भगवान् ४२ १०५. विश्वेट पुण्यनायक पुण्यगण्य ३१ १०६. विष्णु ३५ १५. प्रभूष्णु भूष्णु ३७ १०७. वृषभ ब्रह्मा ब्रह्मपदेश्वर ३१ १०८. वृषभध्वज ३३ १७. ब्रह्मा हरिण्यगर्भ ३७ १०९. वेदविद् ३९ १८. महान् महीयान् ३० ११०. शंकर ३६ १९, यज्वा ३१ ३२ ४. ५. ; ३२ ९. विभु ईश होता Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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