Book Title: Jain Puran kosha
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan

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Page 546
________________ परिशिष्ट ५२८ : मेन पुराणकोश क्र० सं० नाम पर्वत मनुजोदय मलय मलयगिरि महेन्द्र मानुषोत्तर माल्यगिरि ११२. ७२. ७४. ११५. ७७. ७८. मुनिसागर मेघरव मेरु रतिकर रतिशैल रत्नावर्त रथावर्त रामगिरि रुचकवर रैवतक वंशधर वनगिरि वनिसिंह ७९. ८०. ७ ८२. ८३. सन्दर्भ मपु० ७५.३०१-३०३ मपु० २९.८८ मपु० ३०.२६-२७ मपु० २९.८८ मपु० ५.२९१ मपु० ३०.२६-२७ मपु० ३०.५० मपु० ६३.९१-९५ पपु० ८.९०-९५ मपु० ४.४७-४८ हपु० ५.६७३-६७६ पपु० ५३.१५८-१६० मपु० ४७.२१-२२ मपु० ६२.१२६ हपु० ४६.१७-२३ हपु० ५.६९९-७२८ मपु० ७१.१७९-१८१ पपु० १.८४ मपु० ६७.९०-१२१ वीवच० ४.२ मपु० ७२.१०८-११० हपु० २७.११-१४ पपु० ८.२४ पपु० २१-२३-१२७ मपु० २९.७० मपु० १८.१७०-१७६ हपु० ५.२१२ . मपु० १.१९६ मपु० ५९.१८८ पपु० ५४.६४ मपु० २९.६७ हपु० ४२.१४-१९ मपु० २९.४६ मपु० ६३.२४६-२४८ मपु० ७२.२६७-२७० मपु०७६.३२३-३२४ मपु० २९.८९ मपु० २९.९० मपु० २९.८९ मपु० ६६.२, १३-१४ मपु० १०.१-३ क्र० सं० नाम पर्वत संवर्भ १०६. श्रीशैल पपु० १९.१०६ १०७. सन्ध्यावर्त पपु०८.२४-२८ .१०८. सर्वशैल मपु० ६२.४९६ सितगिरि मपु० २९.६८ सिद्धिगिरि मपु० ६३.३७-३९ १११. सीमन्त मपु० ६७.६१ सुमन्दर मपु० ३०.५० ११३. सुवेलगिरि पपु० ५४.६२-७१ सौम्य हपु०७०.२७९ स्फुरत्पीठ मपु० ६८.६४३-६४६ ११६. ह्रीमन्त मपु० ६२.२७४ महानवियाँ १. गंगा २. सिन्धु ३. रोह्या/रोहित ४. रोहितास्या ५. हरित ६. हरिकान्ता ७. सीता ८. सीतोदा ९. नारी १०. नरकान्ता ११. सुवर्णकूला १२. रूप्यकूला १३. रक्ता १४. रक्तोदा मपु० ६३.१९५-१९६, हपु० ५.१२३-१२४ जम्बूद्वीप के विदेहक्षेत्र में स्थित सोलह वक्षारगिरि १. चित्रकूट २. पद्मकट ३. नलिनकूट ४. एकशैल ५. त्रिकूट ६. वैश्रवणकूट ७. अंजनात्म ८. आत्माजन/अंजन ९. श्रद्धावान् १०. विजयवान्/विजयावती ११. आशीविष १२. सुखावह १३. चन्द्रमाल १४. सूर्यमाल १५. नागमाल १६. मेघमालदिवमाल मपु०६३.२०२-२०४, हपु० ५.२२८-२३५ बत्तीस विदेह (देश) एवं उनकी राजधानियाँ देश का नाम राजधानी १. कच्छा क्षेमा २. सुकच्छा क्षेमपुरी ३. महाकच्छा अरिष्टा/रिष्टा ४. कच्छकावती अरिष्टपुरी/रिष्टपुरी ५. आवर्ता खड्गा/खंगा ६. लांगला मंजूषा ७. पुष्कला औषधी ८. पुष्कलावती पुण्डरीकिणी ९. वत्सा सुसीमा १०. सुवत्सा कुण्डला ११. महावत्सा अपराजिता वराह ८६. वरुण वलाहक ८८. वसन्त ९४. वासवन्त विजया विधु त्प्रभ विपुलाचल विमलकान्तार वेलन्धर वैर्य वैताड्य वैभार शंखशैल शत्रुजय शिखि भूधर शीतगुह १००. श्री ~ १०१. १०२. १०३. १०४. श्रीकटन श्रीनाग श्रीप्रभ ~ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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