Book Title: Jain Puran kosha
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan
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परिशिष्ट
जैन पुराणको : ५१७
द्वीप
४. वारुणीवर ५. क्षीरवर ६. घृतवर ७. इक्षुवर ८. नन्दीश्वर ९. अरुणद्वीप १०. अरुणोदभास ११. कुण्डलवर १२. शंखवर १३. रुचकवर '१४. भुजगवर १५. कुशवर १६. क्रौंचवर
सन्दर्भ हपु० ५.६१४ हपु० ५.६१४ हपु० ५.६१५ हपु० ५.६१५ हपु० ५.६१६ हपु० ५.६१७ हपु० ५.६१७ हपु० ५.६१८ हपु० ५.६१८ हपु० ५.६१९ हपु० ५.६१९ हपु० ५.६२० हपु० ५.६२०
सागर ४. वारुणीवर ५. क्षीरोदसागर ६.घृतवर ७. इक्षुवर ८. नन्दीश्वर ९. अरुणसागर १०. अरुणोद्भास ११. कुण्डलवर १२. शंखवर १३. रुचकवर १४. भुजगवर १५. कुशवर १६. क्रौंचवर
सम्बर्भ हपु० ५.६१४ हपु० ५.६१४ हपु० ५.६१५ हपु० ५.६१५ हपु० ५.६१६ हपु० ५.६१७ हपु० ५.६१७ हपु० ५.६१८ हपु० ५.६१८ हपु० ५.६१९ हपु० ५.६१९ हपु० ५.६२० हपु० ५.६२०
क्र०सं० दीप १. मनःशिल २. हरिताल ३. सिन्दूर ४. श्यामक ५. अंजन ६. हिंगुलक ७. रूपवर ८. सुवर्णवर ९. वजवर १०. वैडूर्यवर ११. नागवर १३. भूतवर १३. यक्षवर १४. देववर १५. इन्दुवर १६. स्वयंभूरमण
आरम्भिक इन सोलह द्वीप-सागरों के आगे असंख्यात द्वीप-सागरों के पश्चात् विद्यमान अन्तिम सोलह द्वीप-सागर सन्दर्भ क्र०सं० सागर
सन्दर्भ हपु० ५.६२२ १. मनःशिल
हपु० ५.६२२ हपु० ५.६२२ २. हरिताल
हपु० ५.६२२ हपु० ५.६२३ ३. सिन्दूर
हपु० ५.६२३ हपु० ५.६२३ ४. श्यामक
हपु० ५.६२३ हपु० ५.६२३ ५. अंजन
हपु० ५.६२३ हपु० ५.६२३ ६. हिंगुलक
हपु० ५.६२३ हपु० ५.६२३ ७. रूपवर
हपु० ५.६२३ हपु० ५.६२४ ८. सुवर्णवर
हपु० ५.६२४ हपु० ५.६२४ ९. बच्चवर
हपु० ५.६२४ हपु० ५.६२४ १०. वैडूर्यवर
हपु० ५.६२४ हपु० ५.६२४ ११. नागवर
हपु० ५.६२४ हपु० ५.६२५ १२. भूतवर
हपु० ५.६२५ हपु० ५.६२५ १३. यक्षवर
हपु० ५.६२५ हपु० ५.६२५ १४. देववर
हपु० ५.६२५ हपु० ५.६२५ १५. इन्दूवर
हपु० ५.६२५ हपु० ५.६२६ १६. स्वयंभूरमण
हपु० ५.६२६
कांचन किन्नर कुम्भकण्टक गन्धर्व
पपु० ४८.११५-११६ पपु० ३.४४ हपु० २१.१२३ पपु० ५.४५ हपु० ५.४६९-४७० पपु० ५१.१ पपु० ३.४६ मपु० ७५.९७
पुष्कर योधन रक्षद्वीप लंका वानर शाखामृग संध्याकार
पपु० ८५.९६ पपु० ४८.११५-११६ पपु०१.५४ मपु० ६८.२५६-२५७ पपु० ६.८५ पपु० ६.७०-७१ पपु० ४८.११५-११६ हपु० २१.१०१
गौतम
दधिमुख
धरण
पलाश
सुवर्णद्वीप
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