Book Title: Jain Puran kosha
Author(s): Pravinchandra Jain, Darbarilal Kothiya, Kasturchand Suman
Publisher: Jain Vidyasansthan Rajasthan
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५०६ : जैन पुराणकोश
५. स्मृति
४२.८९
श्रोता के आठ गुण
३. ग्रहण
७. अपोह
२. श्रवण
६. ऊह
संसारी जीव की विशेषतायें
१. परतन्त्रता - कर्मबन्धन युक्त होना । मपु० ४२.८३ ।
२. चंचलता - सुख दुःख जनित वेदना से उत्पन्न व्याकुलता । मपु० ४२.८३-८४
३. क्षयपना - देव आदि पर्यायों में प्राप्त ऋद्धियों का क्षय होना । मपु० ४२.८४
४. बाध्यता - ताड़ना एवं अनिष्ट वचनों की प्राप्ति । मपु० ४२.८५ ५. परिक्षयत्व - इन्द्रियों से उत्पन्न ज्ञान, दर्शन, वीर्य सुख का क्षय होना । मपु० ४२.८५-८७
६. रजस्वलत्व --कर्म-कलंकित होना । मपु० ४२.८७
७. छेद्यत्व - शरीर के खण्ड-खण्ड हो सकना । मपु० ४२.८८
८. भेद्यत्व - प्रहार आदि से शरीर का भेदा जा सकना । मपु०
२
४. अमूढत्व ७. धर्म - वात्सल्य
९. मृत्यु - प्राणी का परित्याग । मपु० ४२.८९
१०. प्रमेयत्व - चेतन का परिमित शरीर में रहना । मपु० ४२.९० ११. गर्भवास-माता के गर्भ में रहना । मपु० ४२.९० १२. विलीनता - एक शरीर से मपु० ४२.९१
दूसरे शरीर में संक्रमण करना ।
१. आज्ञा सम्यक्त्व
४. सूत्र - सम्यक्त्व
७.
विस्तार - सम्यक्त्व १०. परमावगाढ सम्यक्त्व
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४. धारण
८. निर्णीति
१३. क्षुभितत्व - क्रोध आदि से आक्रान्त चित्त में क्षोभ उत्पन्न होना । मपु० ४२.९२
१४. विविषयोग - नाना योनियों में भ्रमना । मपु० ४२.९२
१५. संसारावास — चारों गतियों में परिवर्तन करते रहना । मपु० ४२.९३
१६. असिद्धता - प्रत्येक जन्म में ज्ञानादि गुणों का अन्य अन्य रूप होते मपु० ४२.९३
रहना ।
मपु० १.१४६
सम्यक्त्व के भेद और अंग सम्यक्त्व के भेद
२. मार्ग - सम्यक्त्व ५. बीज- सम्यक्त्व ८. अर्थोत्पन्न- सम्यक्त्व
सम्यक्त्व के आठ अंग २. निःकांक्षित ५.
उपगूहन ८ प्रभावना
३. उपदेश - सम्यक्त्व ६. संक्षेप - सम्यक्त्व ९. अवगाढ सम्यक्त्व वीवच० १९.१४१-१४२
३. निर्विचिकित्सा ६. स्थितिकरण
चीनच० ६.६३-००
सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव के १००८ नामों की सूची ( महापुराण पर्व २५ श्लोक १०० से २१७ के अन्तर्गत )
क्र० सं० नाम
१. अक्षय
२. अक्षय्य
३. अक्षर
अक्षोभ्य
४.
५. अखिलज्योति
६. अगण्य
७. अगति
८. अगम्यात्मा
९. अगाहा
१०. अगोचर
११. अग्रज
१२. अग्रणी
१३. अग्रय्
१४. अग्राह्य
१५. अमि
१६. अचल
१७. अचलस्थिति
१८. अचिन्त्य
१९. अचिन्तयद्धि
२०. अचिन्त्यवैभव
२१. अचिन्त्यात्मा
२२. अच्छे
२३. अच्युत
२४. अज
२५. अजन्मा
२६. अजर
२७. अजय
२८. अजात
२९. अजित
३०. अणिष्ठ
३१. अणोरणीयान्
३२. अतन्द्रालु
३३. अतीन्द्र ३४. अतीन्द्रिय २५. क
३६. अतुल
२७. अधर्मप
३८. अधिक
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श्लोक सं० क्र० सं० नाम
११४
३९. अधिगुरु
१७३
४०. अधिदेवता
१०१
४१. अधिप
११४
४२. अधिष्ठान
२०९
४३. अध्यात्मगम्य
१३७
४४. अध्वर
१४२
१८८
१४९
१८७
१५०
११५
१५०
१७३
१५०
१२८
११४
१६४
१५०
१४०
१०४
२१५
१०९
१०६
१०६
१०९
१०९
१७१
१६९
१२२
१७६
२०७
१४८
१४८
१४८
१४०
१२६
१७१
४५. बच्च
४६. अनर्ध
४७. अनणु
४८. अनत्यय
४९. अनन्त
५०. अनन्तग
५१. अनन्तजित्
५२. अनन्तदीप्ति
५३. अनन्तधामषि
५४. अनन्तद्धि
५५. अनन्तशक्ति
५६. अनन्तात्मा
५७. अनन्तौज
५८. अनलप्रभ
५९. अनश्वर
६०. अनादिनिधन
६१. अनामय
६२. अनाश्वान्
६३. अनिद्रालु
६४. अनिन्द्रिय
६५. अनिन्द्य
६६. अ
६७. अनीश्वर
६८. अनुत्तर
६९. अन्तकृत् ७०.
अपारधी
७१. अपुनर्भव
७२. अप्रतर्यात्मा
७२. अप्रतिघं
७४. अप्रतिष्ठ
परिशिष्ट
७५. अप्रमेयात्मा
७६. अबन्धन
श्लोक सं०
१७१
१९२
१५७, १८९
२०३
१८८
१६६
१६६
१७२, १८६
१७६
१७१
१०९, १६०
१२९
१०४
११३
१८६
१५०
२१५
१०७
२०५
१९८
१०१
१४७
११४, २१७ १७१
२०७
१४८
१६७
१८७
१०३
१३३
१६८
२१२
१००
१८०
२०१
२०३
१६३
१०४
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