Book Title: Jain Jivan Shailee
Author(s): Manitprabhsagar, Nilanjanashreeji
Publisher: Jahaj Mandir Prakashan

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Page 13
________________ अनुक्रमणिका 1. मंमलम् 2. अभिनंदनम् 3. स्वकथनम् जैन जीवन शैली (जैन आराधना मीमांसा) 1. नवकार : जिसकी महिमा अपरम्पार 2. तीर्थंकर और समवसरण . 3. चौबीस तीर्थंकर एवं महाश्रमण महावीर 4. त्रिषष्ठिशलाका पुरूषों का परिचय 5. सिद्ध परमात्मा का स्वरूप 6. मुनि जीवन की पहचान 7. पंच परमेष्ठि के रंगों का वैज्ञानिक विश्लेषण ( जैन क्रिया मीमांसा ) 8. अतिक्रमण का प्रतिक्रमण 9. समत्व की उपासना : सामायिक 10. चतुर्विंशतिस्तव और वंदनक . 11. पापों की आलोचना : प्रतिक्रमण 12. संवर की साधना : प्रत्याख्यान (जैन तत्त्व मीमांसा ) 13. तत्त्वत्रयी : सुदेव, सुगुरू, सुधर्म 14. रत्नत्रयी : सम्यक्ज्ञान-दर्शन-चारित्र 15. अष्ट प्रवचन माता : समिति और गुप्ति 16. नवतत्त्व : जिनवाणी का सार

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