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उन सभी विद्या-प्रेमियों का योगदान जिनकी सक्रियता के बिना यह प्रकाशन कार्य चलना सम्भव नहीं था, सर्वथा श्लाघनीय है । श्रीमान् उम्मेदमल जी पाण्डया, श्री रविचन्द्र जी जैन, श्री ताराचन्द्र जी गंगवाल, बाबू शिखर चन्द्र जी जन तथा श्रीमान् सौभाग्यमल जी जैन ने अकादमी के संरक्षक बनने की महान कृपा की है। अकादमी की स्थापना में प्रेरणा स्रोत रहे हैं उमके परम संरक्षक श्रीमान कैलाशचन्द्र जी जैन, नौरंग भवन, अलीगढ़।
अंत में उन मभी जैन विद्याप्रेमियों, दानवीरों तथा विद्वान-बन्धुओं का आत्मिक शुभ-भाव तथा सहयोग-सुझाव सादर प्रार्थित है । इत्यलम् ।
महेन्द्र सागर प्रचंडिया निदेशक तथा सम्पादक