Book Title: Jain Hindi Puja Kavya
Author(s): Aditya Prachandiya
Publisher: Jain Shodh Academy Aligadh

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Page 11
________________ के समाधान । और मूल्यवान ग्रन्थों को प्रकाशित कर देश-विदेश के अनुसंधान केन्द्रों तक सुलभ कराया जा सके, फलस्वरूप विद्या के विविध ज्ञानविज्ञान का सम्यक् मूल्यांकन हो सके। जैन शोध अकादमी इसी का शुभ परिणाम है। इसके तत्वावधान में लगभग दो दर्जन शोध प्रबन्ध तैयार हो चुके हैं और अनेक शोधार्थियों को दुर्लभ सामग्री, शोध-प्रबन्धों की रूप रेखायें, लघु निबन्धों की रचना तथा पाठानुसंधान विषयक नाना कठिनाइयों का हल सुलभ है। प्रसन्नता का विषय है कि अकादमी के तत्वावधान में यह शोध-प्रबन्ध उसकी प्रकाशन परम्परा की पहल करता है स्थापि इसके सम्पादन तथा प्रकाशन में कितने पापड बेलने पड़े हैं, यह वस्तुत. आत्म-कथा का विषय है । अकादमी की योजना को सफल बनाने मे अनेक सामाजिक जिनवाणी प्रेमियों का सहयोग प्राप्त है जिनमें सर्वश्री लाला प्रेमचन्द्रजी जैन (जैना वाच कम्पनी), बाबू इन्द्रजीत जैन, एडवोकेट, कानपुर, पं शीलचन्द्र जी शास्त्री, मवाना श्रीमान् जयनरायण जी जैन, मेरठ, श्रीमान कैलाशचन्द्र जी जैन, मुजफ्फरनगर, श्रीमान् हजारीमल्ल जी बांठिया, कानपुर, श्रीमान् रमेशचन्द्र जी गंगवाल, जयपुर तथा श्री जवाहरलाल जी जैन, सिकन्द्राबाद आदि भाइयों के शुभ नाम उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त महामनीषी पं० कैलाशचन्द्र जी शास्त्री, पंडितवर श्री जगमोहन लाल जी शास्त्री, ५० पन्नालाल जी साहित्याचार्य, पं० राजकुमार जी शास्त्री निबाई, पं० नाथूलाल जी शास्त्री, पं० लाल बहादुर जी शास्त्री, पं० भंवरलाल जी न्यायतीर्थ, डॉ० कस्तूर चन्द्र जी कासलीवाल, बाबू लक्ष्मी चन्द्र जी जैन (भारतीय ज्ञानपीठ) तथा इतिहासमनीषी पं० नीरज जैन, सतना के शुभ नामों का उल्लेख वस्तुत: अकादमी की शक्ति और शोभा है जिनसे हमें समय-समय पर सारस्वत सहयोग प्रा८, होता रहा है। ग्रन्थ के मुद्रण में श्री गोस्वामी जी, मुख पृष्ठ आवरण जैन सेवा समिति, सिकन्द्राबाद तथा ग्रन्थ-प्रबन्धनात्मक सहयोग श्रीमान् श्रीचन्द्र जी सुराना की देख-रेख में सम्पन्न हुआ है, अतः अकादमी परिवार इनका अत्यन्त आभारी है। इस प्रबन्ध के शोध का चिरंजीवी डॉ. आदित्य प्रचंडिया 'दीति' है जिनका गवेषणात्मक स्वाध्याय और श्रम तथा सूझ-बूझ उल्लेखनीय है । मागरा विश्वविद्यालय के महामनीषी विद्वानों ने इस प्रबन्ध की भूरि-भूरि अनुशंसा कर पी-एच. डी. उपाधि के लिए संस्तुति की है ।

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