Book Title: Jain Gajal Manohar Hir Pushpmala
Author(s): H P Porwal
Publisher: Jain Parmarth Pustak Pracharak Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ww.kobatirth org Acharya Shri Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ॐ॥ ॥ श्री जैन गजल मनोहर हीरपुष्प माला.॥ और ॥ गजलौ की चमकती अंगुठी.॥ (गजल.) शरणले पार्श्वधरणोंका फिरफिर नहीं मिले मौका ॥ ए राग ॥ देवनके देव ये सोहे, इन्होको देख जो मोहे । हटे तस दुःख दुनियांका, फिर फिर नहि मिले मौका १ इन्होंका नाम जो लेते, उन्होंको शिव सुख देते । मारग यह मोक्ष जानेका, फिर फिर नहि मिले मौका २ अनादि काल भव भटका, जभी तु पार्थसे छटका । मिला अब वख्त ध्यानेका, फिर फिर नहि मिले मौका ३ जिन्होंने सर्पको तारा, नमस्कार मंत्रके द्वारा। वोही तुम तार लेनेका, फिर फिर नहि मिले मौका ४ गुण है पाश्चमे जैसे, नही ओर देवमे ऐसे। वही भवपार लगानेका, फिर फिर नहि मिले मौका ५ कहे लब्धि जिनंद सेवो, एसा है अन्य नहि देवो। भवाब्धि पार कर नौका, फिर फिर नहि मिले मौका ६श० For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 49