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॥ॐ॥ ॥ श्री जैन गजल मनोहर हीरपुष्प माला.॥
और ॥ गजलौ की चमकती अंगुठी.॥
(गजल.) शरणले पार्श्वधरणोंका फिरफिर नहीं मिले मौका ॥ ए राग ॥ देवनके देव ये सोहे, इन्होको देख जो मोहे । हटे तस दुःख दुनियांका, फिर फिर नहि मिले मौका १ इन्होंका नाम जो लेते, उन्होंको शिव सुख देते । मारग यह मोक्ष जानेका, फिर फिर नहि मिले मौका २ अनादि काल भव भटका, जभी तु पार्थसे छटका । मिला अब वख्त ध्यानेका, फिर फिर नहि मिले मौका ३ जिन्होंने सर्पको तारा, नमस्कार मंत्रके द्वारा। वोही तुम तार लेनेका, फिर फिर नहि मिले मौका ४ गुण है पाश्चमे जैसे, नही ओर देवमे ऐसे। वही भवपार लगानेका, फिर फिर नहि मिले मौका ५ कहे लब्धि जिनंद सेवो, एसा है अन्य नहि देवो। भवाब्धि पार कर नौका, फिर फिर नहि मिले मौका ६श०
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