Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 06
Author(s): Haribhai Songadh, Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ २०. साहित्य प्रकाशन फण्ड अरविन्द बा रोकड़े हस्ते अभय रोकड़े डोविवली (पूर्व) मुम्बई १००१/श्रीमती ममता-रमेशचन्द जैन शास्त्री, जयपुर ५०१/शीप्रा जैन विबोध जैन, दिल्ली ५०१/चिद्रूप शाह, मुम्बई ३३३/सौ.मंजुलाबेन नगीनदास मेहता, कांदीबली-मुम्बई २५१/सौ. चन्द्रकला प्रेमचन्द जैन, खैरागढ़ २५१/कहान ज्वैलर्स हस्ते-श्री अभयकुमार-समता-नम्रता, खैरागढ़ २५१/सौ.झनकारीबाई खेमराज बाफना चेरिटेबल ट्रस्ट, खैरागढ़ २५१/उषाबेन सावलकर, नागपुर २५१/- . श्रीमती मनोरमादेवी विनोदकुमार, जयपुर २५१/ब्र. कुसुम जैन, कुम्भोज बाहुबली २०१/सौ. कंचनदेवी दुलीचन्द जैन, खैरागढ़ हस्ते कमलेश जैन खैरागढ़ २०१/स्व. नेमीचन्दजी हस्ते सूरजबाई अलिजार, जबलपुर स्व. मथुरादेवी कँवरलालभाई हस्ते ढ़ेलाबाई, खैरागढ़ ब्र. ताराबेन मैनाबेन, सौनगढ़ २०१/सौ. गुलाबबेन पन्नालाल छाजेड़, खैरागढ़ २०१/धीरज श्री, सोनगढ़ २०१/श्री रमेशचन्द अभयकुमार जैन, खतौरा १२५/चौ. फूलचन्द चैरिटेविल ट्रस्ट, मुम्बई ताराबेन नन्दरवार वाला स्व. टीकू एन. शाह के स्मरणार्थ, सुरेन्द्रनगर १११/सौ.वन्दनाबेन जितेन्द्रकुमार जैन, खैरागढ़ हस्ते जयति खैरागढ १०१/कस्तूरचन्द जैन, डोंगरगाँव १०१/सौ. कंचनदेवी पन्नालाल, खैरागढ़ हस्ते मनोज खैरागढ १०१/निलेश शामजी शाह, गोरेगॉव १०१/विपुल शामजी शाह, गोरेगॉव श्रद्धा पूजा सतीश शाह, मलाड १०१/ऋषभ-रुचि-चन्द्रकान्त कामदार, राजकोट १०१/अनुभूति-विभूति अतुल जैन, मलाड १०१/ २०१/ १११/ १०१/ - - शोक शरीर को सुखाता है, पाप का बंध करता है एवं महामोह का मूल है ।- अध्यात्मयोगी राम से साभार, पेज-१६ -

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84