Book Title: Jain Dharm Ki Kahaniya Part 06
Author(s): Haribhai Songadh, Rameshchandra Jain
Publisher: Akhil Bharatiya Jain Yuva Federation

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ जैनधर्म की कहानियाँ भाग-६/३६ A- ...जनेऊ MATALA मंत्री : महाराज! एक-एक विद्यार्थी मूर्ति को लांघकर चला गया है, इसलिए इनमें कोई जैन हो- ऐसा नहीं लगता। गुरु : नहीं, मंत्रीजी! सम्भव है कि पकड़े जाने के डर से वह जैन विद्यार्थी मूर्ति को लांघ गया हो, इसलिए आज रात में एक नई परीक्षा करना चाहता हूँ और उसमें जो जैन होगा वह अवश्य पकड़ा जायेगा। मंत्री : ऐसी वह कौन-सी युक्ति है गुरुजी! गुरु : सुनिए मंत्रीजी! मनुष्य जिस समय नींद में से घबराकर जागता है, उस समय उसके मुख में से सहज ही अपने इष्टदेव का नाम निकलता है, इसलिए मैंने एक ऐसी योजना बनाई है कि आज रात्रि में प्रत्येक विद्यार्थी के कमरे के पास गुप्त रूप से एक-एक चौकीदार बैठा दिया जाए और जब सारे विद्यार्थी नींद में हों, तब अचानक भयंकर कोलाहल किया जाए। ऐसा होने पर सारे विद्यार्थी घबराकर जाग उठेगे और अपने इष्टदेव का नाम बोलने लगेंगे। उनमें हमारे धर्मानुयायी विद्यार्थी तो हमारे भगवान का नाम बोलेंगे, परन्तु जो विद्यार्थी जैन होगा, वह हमारे भगवान का नाम नहीं बोलेगा, अपितु उसके इष्टदेव अरहंत का नाम बोलेगा और इस तरह वह पकड़ में आ जायेगा, अत: इस योजना की सारी व्यवस्था आप गुप्त रूप से शीघ्र ही कर लीजिए। . मंत्री : जैसी आज्ञा महाराज! (मंत्री जाता है। पर्दा गिरता है।)

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84