Book Title: Jain Bhasha Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: B L Institute of Indology

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Page 7
________________ भोगीलाल लेहरचन्द भारतीय संस्कृति संस्थान ने अपनी व्याख्यानमाला योजना के अन्तर्गत डा० सागरमल जैन, निदेशक, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी-५ को आमंत्रित किया था । डा. जैन ने सर्वथा नवीन और अस्पर्शित विषय "जैन भाषा-दर्शन" पर २७, २८ एवं २९ सितम्बर, १९८३ को संस्थान में विद्वत्तापूर्ण एवं बोधगम्य तीन व्याख्यान दिये । उनके व्याख्यानों को एक ग्रन्थ के रूप में पाठकों के हाथों में समर्पित करते हुए आज हमें अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है। इस मंगल-वेला पर हम संस्थान के मार्गदर्शक पं० दलसुखभाई मालवणिया के भी आभारी हैं जिनके कारण संस्थान की विविध योजनाएँ मूर्तरूप ले रही हैं । हम डा० सागरमल जैन तथा पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान के संचालक एवं अधिकारी वर्ग के भी आभारी हैं क्योंकि प्रस्तुत कृति के मुद्रण आदि कार्य उनके सहयोग से ही वाराणसी में पूर्ण हुए हैं । इस अवसर पर संस्थान के भू० पू० निदेशक डा० वी० एम० कुलकर्णी के भी हम आभारी हैं जिन्होंने इन व्याख्यानों का आयोजन किया था। अंत में हम महावीर प्रेस के भी आभारी हैं जिन्होंने इस ग्रन्थ को सुन्दर ढंग से मुद्रित किया। प्रताप भोगीलाल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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