Book Title: Jain Bhanu Pratham Bhag
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Jaswantrai Jaini

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Page 88
________________ ( ७८ ) सम्यक्त्वशल्योद्धार ग्रंथ का जवाब देने का दावा करूंगी तो उसमें जो २ सवाल किये गये हैं जैसे कि-मूत से गुदा धोनी, मूत से मुखपट्टी धोनी, इसादि बातों का क्या जवाब दूंगी? अगर कहूंमी कि यह बात असस है,ढुंढिये यह काम नहीं करते हैं,तो मुझे सरासर झूठ का पाप लगेगा, क्योंकि ढुंढिये यह काम बराबर करते हैं इसमें कोई शक नहीं,और ढूंढिये साधु रात्रि को पानी नहीं रखते हैं, जब कभी पाखाने जाने वगैरह का काम पड़ जाता है तोमूत से ही काम लेते हैं यह अकसर आम मशहूर बात है. और जब मैं अपने हाथ से लिख दूंगी कि हां बेशक यह बात यानी पिशाब से गुदा धोनी मुखपट्टी धोनी इसादि काम दुढिये परंपरा से करते हैं, तो जिन लोगों को इस बात का पूरा २ पता नहीं है, और खासकर जो ढुंढिये श्रावक जिनको कि अब तक इस बात का पता तक भी नहीं है कि हमारे साधु सतियों का ऐसा गलीज़ (अपवित्र ) काम है, एकदम हमारे से नफरत (घृणा) करने लग जावेंगे । इसवास्ते ऐसी बात में हाथ न डालना ही चतुराई का काम हैं, नहीं तो मुझको ही शरमाना पड़ेगा, इस से बेहतर यही है कि सम्यक्त्वशल्योद्धार के खंडन का नाम न लिया जावे और अपना काम बनाया जावे, कौन जानता है और कौन पूछता है कि सम्यक्त्वशल्योद्धार में क्या लिखा है और मैं क्या कहती लिखती हूँ? तटस्थ-जो पुरुष न्यायदृष्टि से देखेगा आपही मालूम कर लेवेगा कि जिन २ बातों का जवाब सम्यक्त्वशल्योद्धार ग्रंथ में स्वामी श्रीआत्माराम जी महाराज जी ने दिया है,पार्वती ने अकसर अपनी पोथी में वही तर्क वितर्क प्रायः किये हैं अर्थात् पीसे हुए को ही पार्वती ने पीसा है, नया इसमें कुछ भी नहीं है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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