Book Title: Jain Bhanu Pratham Bhag
Author(s): Vallabhvijay
Publisher: Jaswantrai Jaini

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Page 123
________________ (शुद्धिपत्र) अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति दुख्यांगे दुःखायँगे २ २ व्याख्य व्याख्या ८३ १९ हेता देता , भ्युगमो भ्युपगमो ,, २२ वर्णम् वर्णनम् ८ १६ विग्रह विग्रहः ,, २३ धीत धीषे १० २मक मेक ८४ १ भत् भूव ३ ग वान् ११ ६ मा __म ८५६ स्वाधान स्वाधीन , १० | द ण म ., १७ धी क्या तो तो क्या १४ १ हि कुहाड़ी कुदाड़ी १५ १४ | वे का ० , १६ष्ठीवभीक्त विभक्ति ना ना १७ १६|दी भाविष्य- । भविष्य-२१ ७/ 3 ना ९११८ णं ३२ २ मुचं मुंच ९५ ९ द्व , १३ चाकाक चालाक , १६ .तू ४१ ९ च तटस्थ विवेचक ४२ २४ फल फलं ऋम ऋषभ ४५. १ आवश्य अवश्य ५२१७ | च चा , १७ दीजिये ५४ ४ शस्त्र शास्त्र ,, १९ विवेचक- तटस्थ ६२ ३] की का १०१९ समुन्दर समुद्र ६४१३ ता श्रीमान् श्रीमन् ,. ११ प १०३२२ . की के ६६ २२ , २४ ७१२२ कसा कैसी १०६३ बड़ा १०७१ श्च ܀ ܘܲܘܕ । ढीजये A our ' og to ' Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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