Book Title: Jain Bauddh aur Gita ka Samaj Darshan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ -११तुलनात्मक अध्ययन में मुझे उपाध्याय श्री अमरमुनिजी, पं० सुखलाल जी, पं० दलसुखभाई मालवणिया आदि के लेखनों से पर्याप्त दृटि मिली है, अतः उनके प्रति और उनके अतिरिक्त भी जिन ग्रन्थों और ग्रन्थकारों का प्रत्यक्ष या परोक्षरूप में सहयोग मिला है उन सबके प्रति हृदय से आभारी हूँ। अपने गुरुजन डा० सी० पी० ब्रह्मो एवं डा० सदाशिव बनर्जी के प्रति भी आभार प्रकट करना मेरा अपना कर्तव्य है । काशी विद्यापीठ के दर्शन विभागाध्यक्ष डा० रघुनाथ गिरि का भी मै आभारी हैं जिन्होंने इस ग्रन्थ का प्राक्कथन लिखने की कृपा की। प्राकृत भारती संस्थान के सचिव श्री देवेन्द्रराज मेहता एवं श्री विनयसागरजी के भी हम अत्यन्त अभारी हैं, जिनके सहयोग से यह प्रकाशन सम्भव हो सका है। महावीर प्रेस ने जिस तत्परता और सुन्दरता से यह कार्य सम्पन्न किया है उसके लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करना हमाग वर्तव्य है । अन्त में हम पार्श्वनाथ विद्याश्रम परिवार के श्री जमनालालजी जैन, डा. हरिहर सिंह, श्री मोहन लाल जी, श्री मंगल प्रकाश मेहता तथा शोध छात्र श्री रविशंकर मिश्र, श्री अरुण कुमार सिंह, सी भिखारी गम यादव और श्री विजय कुमार जैन के भी आभारी हैं, जिनसे विविधरूपों में सहायता प्राप्त होती रही है । अन्तमें पत्नी श्रीमती कमला जैन का भी मैं अत्यन्त आभारी हूँ, जिसके त्याग एवं सेवा भाव ने मुझे पारिवारिक उलझनों से मुक्त रखकर विद्या की उपासना का अवसर दिया। वाराणसी, ९-१०-८२ सागरमल जैन

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 130