Book Title: Hindi Jain Sahitya ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Shitikanth Mishr
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 16
________________ ( १५ ) ५४९, अज्ञातकवि कृत रचनायें ५५१, लोक साहित्य ५६९, जैनेतर कवि ५७० । अध्याय ६-मरु-गुर्जर जैन गद्य-साहित्य (१३ वीं.-१६ वीं शती तक) __ मरु-गुर्जर जैन गद्य साहित्य (सामान्य परिचय) ५७२, वचनिका ५८१, दवावंत ५८२ बात-ख्यात ५८३, मरु-गुर्जर जैन गद्य ५८४, १३वीं और १४ वी शताब्दी की गद्य रचनायें ५८६, श्रीसंग्रामसिंह ५८६, नरचन्द्रसूरि ५८९, १५वीं शताब्दी का गद्य साहित्य ५९०, कुलमंडन सूरि, जयशेखरसूरि ५९१, तरुणप्रभसूरि ५९२, दयासिंहगणि ५९३, माणिकसुन्दरसूरि ५९३, पद्मनाभ ५९५, मुनिसुन्दरसूरि ५९६, मेरुतुंगसूरि ५९६, साधुरत्नसूरि ५९६, सोमसुन्दरसूरि ५९७, हेमहंसगणि ५९९, मरु-गुर्जर जनसाहित्य ( १६वीं शताब्दी ) : अभयधर्म उपाध्याय ६००, आसचन्द ६००, उदयधवल ६००, उदयवल्लभसूरि ६००, कमलसंयम उपाध्याय ६००, कुशलभुवनगणि ६००, गुणधीरगणि ६००, जयचन्दसूरि ६०१, जयवल्लभ ६०१, जिनसूरि ६०१ धर्मदेवगणि ६०१, नन्नसूरि ६०१, उपा० महिमासागर ६०३, महीरत्न ६०३ पावचन्द्र ६०३, माणिकसून्दरसरि ६०४, मेरुसुन्दर ६०५, रंगरत्नोपाध्याय ६०६, राजशील ६०६, राजहंस ६०६, विद्याकीर्ति ६०६, विशालराज ६०६, शिवसुन्दर ६०६, समरचन्द्र ६०७, साधुसुन्दरगणि ६०७, संवेगदेवगणि ६०७, सुन्दरहंस ६०७, हरिकलश ६०८, हेमविमलसूरि ६०८ । सन्दर्भ ग्रन्थ सूची ६१२ अनुक्रमणिका ६१९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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