Book Title: Gacchayar Painnayam
Author(s): Trilokmuni
Publisher: Ramjidas Kishorchand Jain

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ।। नमोऽत्युणं समरणम्स भगवो महावीरस्स ।। अथ गच्छाचार प्रकीर्णकम् (हिन्दी अनुवाद सहितम) नमिऊण महावीरं, तिमिदनममियं महाभागं । गच्छायारं किंची, उदरिमो सुअममुद्दामो ॥१॥ देवताओं के राजा इन्द्र भी जिसे नमस्कार करते हैं, उस महाभाग्यवान भगवान् महावीर स्वामी को नमस्कार करके, श्रुतसमुद्र से निकले, गच्छ के आचार रूपी कुछ मोतियों का वर्णन करता हूँ। Rai नत्वा महावीरं, त्रिदशन्द्रनमस्यितं महाभागम् । गटाचार किश्चिद्, उद्धरामः श्रुतसमुद्रात् ।। १॥ 'नमिकरण' 'कत्वस्तुमत्तुणतुप्राणाः ॥ ८२१४६।। हे. इति सूत्रेण क्त्वाप्रत्यस्य तूण श्रादेशः, 'क-ग-च-ज-त-द-प-य-बां प्रायो नुक्' ।।८।१७७ । हे० ।। इति सूत्रेण तकारस्य लुक् ; 'एच्च कत्वा-तुम-तव्य-भविष्यत्सु' ।।८।३। १५७ ।। हे० ॥ इति सूत्रेण इकारादेश । नमिउरण ।। ___“ति प्रसिद" त्रिदशेन्द्र 'सर्वत्र ल-ब-रामवन्द्रे' ॥२७॥ हे । इति सूत्रेण त्रिशदस्य रस्य लुक् , 'अनादौ शेषादेशयोxि. त्वम्' ।। ८ १८६॥ ६० इति सूत्रेण अनाद्यभावान्न द्वित्वम् ; 'क-ग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लुक' ।।१।१७७ ।। हे० ॥ इति For Private And Personal Use Only

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