Book Title: Dvadashar Naychakra ka Darshanik Adhyayana
Author(s): Jitendra B Shah
Publisher: Shrutratnakar Ahmedabad

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Page 8
________________ केवल जैनदर्शन का ही ग्रन्थ नहीं है अपितु जो कोई समदृष्टि पूर्वक भारतीय दर्शनों का अध्ययन करना चाहता है उसके लिए नितान्त पठनीय है। इस ग्रन्थ के अध्ययन से भारतीय दर्शन की विभिन्न धाराओं का ज्ञान प्राप्त होता है। पू. उपाध्याय मणिप्रभ सागरजी म. सा. तथा पू. साध्वी श्री विद्युत्प्रभाश्रीजी म. सा. का भी मैं अत्यंत आभारी हूँ, जिन्होंने प्रस्तुत ग्रंथ के प्रकाशन के लिए श्री जिनकान्तिसागरसूरि स्मारक ट्रस्ट, माण्डवला को प्रेरणा दी, जिसके फल स्वरूप यह ग्रंथ प्रकाशित हो रहा है । इसका प्रकाशन जिज्ञासुओं को उपयोगी सिद्ध होगा। प्रकाशन-कार्य में सहयोग करने के लिए मैं सभी मित्रों का एवं विशेष रूप से अखिलेशभाई, मृगेशभाई, उत्तमसिंह, मनिषाबहन, रिद्धीशभाई, एवं गौतमभाई का आभारी हूँ । जिन्होंने प्रकाशन-कार्य में पर्याप्त सहयोग प्रदान किया। जितेन्द्र बी. शाह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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