Book Title: Divya Jivan Vijay Vallabhsuriji
Author(s): Jawaharchandra Patni
Publisher: Vijay Vallabhsuriji Janmashatabdi Samiti

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Page 21
________________ दिव्य जीवन थे और जिस मनको दुःख और भूखसे बिलबिलाते बच्चोंका रुदन भी विचलित नहीं कर सका था, वह मन किस फौलादका बना हुआ होगा! महाराणा प्रतापके जीवनकी प्रत्येक घटना रोमांचक है। आजके युवक महाराणा प्रतापके जीवनसे स्वतन्त्रताप्राप्तिके लिये आत्मबलिदान व संकट सहन करनेकी शिक्षा लें तो भारतवर्ष संसारमें अनुपम स्थान प्राप्त कर सकेगा।"... गुरुदेवकी देशभक्ति अनुकरणीय थी। उन्होंने स्वतन्त्रता-आन्दोलनमें जनताको देशप्रेमका उपदेश देकर जागृत किया। स्वतन्त्रताप्राप्तिके लिये उन्होंने एकताको सर्वोपरि माना। उन्होंने संवत् २००२ मार्गशीर्ष वदी १० को. मालेरकोटलाकी आम सभामें कहा था : “देशकी स्वतन्त्रतासे सबका कल्याण होगा। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख आदि सभी बन्धु हैं। उनके बीच एकता नितान्त आवश्यक है। यदि देशमें एकता होगी तो विश्वशांतिमें भारत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगा। हिन्दू चोटी सहित नहीं जन्मता, न मुस्लिम सुनतयुक्त जन्मता है। सिक्ख दाढी सहित जन्म नहीं लेता। जन्मके पश्चात् ही ये विविध संस्कार, आचारादि होते हैं। सभीमें आत्मा एक ही है। सभी मोक्षके अधिकारी हैं। सभीमें परम कृपालु प्रभु निवास करते हैं। इस देशमें सभीको हिलमिल कर रहना चाहिये। खुदाका बंदा- ईश्वरका भक्त - वही है जो समस्त प्राणियोंको अपने समान समझे।” ३ गुरुदेवकी देशभक्तिमें मानवताका कोमल स्पर्श था। संत दादूने भी इसी प्रकारके भाव प्रकट किये हैं : आप हि आप विचारा।। सब हम देख्या शोध करि, दूजा नाहिं आन । सब घट एकै आत्मा, क्या हिन्दू मुसलमान । आतम भाई जीव सब, एक पेट परिवार । संत कवि दादू दयाल तथा गुरुदेवके विचारोंमें अद्भुत समानता है। गुरुदेवने आजादीके संबंधमें कहा है : “आजादी ही जीवन है, गुलामी ही मृत्यु है।" स्वतन्त्रता-आन्दोलनके संदर्भमें कहे गये इस कथनमें जागृतिका स्वर सुनाई देता है। इसका आध्यात्मिक अर्थ भी है : आजादीका अर्थ मोक्ष है; ३. आचार्य श्री विजयवल्लभसूरि स्मारक ग्रंथ, पृष्ठ ६२. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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